भगवान की भक्ति से ही मनुष्य जीवन में सुख की अनुभूति संभव : स्वामी सुरेंद्र

सुमन महाशा। कांगड़ा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मटौर में सत्संग कार्यक्रम किया गया। इसमें गुरुदेव सर्व आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी सुरेंद्र ने कहा कि भगवान की भक्ति ही मनुष्य को जीवन में सुख की अनुभूति करा सकती है। जीवन में ईश्वर के बिना सुख खोजना निरर्थक हैं, क्योंकि जीवन का आधार केवल मात्र प्रभु की भक्ति ही है और आज का मनुष्य उस परमपिता परमेश्वर को भुला बैठा है। अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु वह बहुत सारे ऐसे कुकर्म भी कर देता है, जो कुकर्म उसे ईश्वर से जन्मों-जन्मों के लिए दूर कर देते हैं। इसलिए अगर जीवन में आपको सुख चाहिए तो गुरु की शरण में जाना ही पड़ता है। गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरितमानस में कहते हैं कि “गुर बिन भव निधि तरे ना कोई जो बिरंचि शंकर सम होई” कि गुरु के बिना कोई भी जीव भव सागर से पार हो ही नहीं सकता। चाहे उसके पास भगवान शंकर जितना सामर्थ्य ही क्यों ना आ जाए। अब देखिए भगवान शिव देवाधिदेव हैं, कितना बल है उनके पास, कितनी शक्ति है उनके पास, परंतु फिर भी तुलसीदास जी कह रहे हैं कि इतना सारा बल प्राप्त करने के उपरांत भी एक व्यक्ति उस ईश्वर तक नहीं पहुंच सकता। गुरु के सानिध्य में जाकर ही एक जीवात्मा अपने भव के सभी बंधनों को काट सकती है, क्योंकि मन के द्वारा की गई भक्ति हमें भव के बंधनों से छुटकारा नहीं दिला सकती। मन के कारण ही एक व्यक्ति संसार में पुनः पुनः जन्म लेकर के बार-बार आता है। इसलिए मन को बांधने का साधन ज्ञान है। जो ज्ञान हमें सद्गुरु प्रदान करते हैं, उस ज्ञान के द्वारा ही हम अपने मन को प्रभु चरणों लगा सकते हैं। सत्संग में सुखदेव ने सुंदर भजनों का गायन भी किया, जिसका मौजूद संगत ने आनंद लिया। संगत के लिए भोजन भंडारे का भी प्रबंध किया गया।