उदयनिधि के सनातन धर्म को लेकर बयान पर बिफरे लोग उत्तरी राज्यों तक हो रहा विरोध
तमिलनाडु सरकार के मंत्री और डीएमके के नेता उदयनिधि स्टॅलिन ने रविवार को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में जिस तरीके के बयान सनातन धर्म को लेकर किए है।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
तमिलनाडु सरकार के मंत्री और डीएमके के नेता उदयनिधि स्टॅलिन ने रविवार को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में जिस तरीके के बयान सनातन धर्म को लेकर किए है। उनका विरोध तमिलनाडु के अलावा देश के उत्तरी राज्यों में जमकर हो रहा है। लेकिन तमिलनाडु की सियासत को ध्यान से समझने वालों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के पोते और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन का यह बयान कोई चौंकाने वाला नहीं है। जानकारों का कहना है कि तमिलनाडु में डीएमके के सियासी जमीन का बड़ा आधार ही हिंदू विरोधी और संस्कृत के विरोध के साथ-साथ हिंदू देवी देवताओं की मान्यताओं पर सवाल उठाने से मजबूत हुआ है। इसलिए उदयनिधि स्टालिन का बयान तमिलनाडु की सियासत के लिए उनको और उनकी पार्टी के नैरेटिव के हिसाब से तो सुनिश्चित हो रहा है लेकिन नए बने गठबंधन इंडिया के लिए उत्तर भारत के राज्यों में एक बड़ी मुसीबत भी खड़ा कर रहा है।तमिलनाडु की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि जिस तरीके की सियासत एम करुणानिधि ने की उस तरीके की सियासत तो उनके बेटे एमके स्टालिन ने भी नहीं की थी। वरिष्ठ पत्रकार के सुदर्शन का कहना है कि करुणानिधि के पोते और मुख्यमंत्री स्टालिन के पुत्र उदयनिधि स्टालिन आवश्यक अपने बाबा के पद चिन्हों पर आगे बढ़ रहे हैं। जिस तरीके से मंत्री उदयनिधि ने सनातन धर्म पर बयान दिया है वह तमिलनाडु की राजनीति खासतौर से उनकी पार्टी से जुड़ी हुई विचारधारा और विरासत की सियासत का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। सुदर्शन ने कहा कि यह बात अलग है कि अब जब देशभर के सभी विपक्षी दल इंडिया के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का सामना कर रहे हैं तो गठबंधन में शामिल किसी भी राजनीतिक दल की इस तरीके से विवादित टिप्पणी न सिर्फ गठबंधन को मुसीबत में डाल सकती है बल्कि उत्तर भारत के राज्यों में समूचे गठबंधन को इस मामले में अपना रूख स्पष्ट करने के लिए मजबूर भी कर सकती है।
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