डीएवी कालेज कांगड़ा में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ शुभारंभ, एचटीसी उपाध्यक्ष अजय वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि की शिरकत
डीएवी कॉलेज कांगड़ा में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ, एचआरटीसी उपाध्यक्ष अजय वर्मा ने किया उद्घाटन। सम्मेलन में AI, क्वांटम विज्ञान, नैतिकता और पर्यावरण विषयों पर वैश्विक विशेषज्ञों ने विचार साझा किए।

सुमन महाशा। कांगड़ा
एमसीएम डीएवी महाविद्यालय कांगड़ा में त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ 25 मई 2025 को हुआ । इस कांफ्रेंस में एचआरटीसी उपाध्यक्ष अजय वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बलजीत सिंह पटियाल ने मुख्य अतिथि को शॉल और टोपी पहनाकर विधिवत रूप से औपचारिक स्वागत किया ।
मुख्य अतिथि अजय वर्मा ने बताया कि डीएवी कॉलेज लगातार बुलंदियों को छू रहा है और इसका श्रेय समस्त डीएवी परिवार को जाता है। डीएवी महाविद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ खेल सांस्कृतिक गतिविधियों और शोध कार्य निरंतर चलता है जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है । इसके साथ ही मुख्य अतिथि ने कहा कि वर्तमान समय में एक गंभीर समस्या नशे की है जिससे बच्चों को बचाना होगा तथा माता-पिता और शिक्षकों का यह मुख्य दायित्व भी है ।
इस कांफ्रेंस में की-नोट स्पीकर के रूप में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पधारे प्रोफेसर महावीर सिंह उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आने वाला समय क्वांटम वर्ल्ड का है और अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में रोजगार की बात की जाए तो ग्रीन एनर्जी, डाटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी इत्यादि रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे ।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब भाषा रुकावट बनती थी पर वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समय में इस समस्या का पूर्ण रूप से समाधान हो चुका है ।
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन प्रथम आमंत्रित वक्ता के रूप में किंग अब्दुल्लाह इंस्टीट्यूट फॉर नैनोटेक्नोलॉजी किंग सऊदी यूनिवर्सिटी सऊदी अरबिया से खालिद मुजस्सम बट्टु वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि बिस्मथ फेराइट-आधारित ऑक्साइड नैनोस्ट्रक्चर को बढ़ते ऊर्जा संकट और पर्यावरण प्रदूषण के लिए एक प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए रासायनिक रूप से संसाधित किया गया था। उन्हें जल विभाजन प्रतिक्रियाओं और फोटोकैटलिसिस के माध्यम से कार्बनिक प्रदूषकों के उपचार के लिए फोटोइलेक्ट्रोड के रूप में नियोजित करके भौतिक रासायनिक गुणों को शामिल करते हुए सोने (Au) के माध्यम से प्लास्मोनिक प्रभावों के प्रभाव और अनुप्रयोग प्रदर्शन पर उनके परिणामी प्रभाव का व्यवस्थित रूप से अध्ययन किया गया है।
दिन के दूसरे आमंत्रित वक्ता के रूप में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर से डॉ पामिता अवस्थी वर्चुअल माध्यम से उपस्थिति रहीं। डॉ पामिता अवस्थी ने अपने वक्तव्य में बताया कि डीएनए कोशिका नाभिक के भीतर एक अलग मैक्रोमोलेक्यूल नहीं है; बल्कि, यह कई तरह के प्रोटीन, मुख्य रूप से हिस्टोन के साथ कसकर जुड़ा हुआ है, जो क्रोमेटिन नामक एक जटिल संरचना बनाता है। क्रोमेटिन की मूल इकाई न्यूक्लियोसोम है, जिसमें हिस्टोम प्रोटीन के चारों ओर लिपटे डीएनए होते हैं। ये न्यूक्लियोसोम नियमित रूप से क्रोमेटिन फाइबर के साथ फैले होते हैं और जीन अभिव्यक्ति, विशेष रूप से डीएनए प्रतिलेखन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दिन के तीसरे आमंत्रित वक्ता के रूप में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से प्रो खेमराज शर्मा उपस्थित रहे। प्रो खेमराज ने बताया कि अभूतपूर्व वैज्ञानिक प्रगति और जटिल वैश्विक परिदृश्य वाले युग में परस्पर निर्भरता के संदर्भ में, एक सार्वभौमिक नैतिक ढांचे की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक जरूरी है। उन्होंने कहा कि विश्व के लिए नैतिकता के लेंस के माध्यम से धर्मनिरपेक्ष नैतिकता और वैज्ञानिक जागृति के प्रतिच्छेदन की खोज करता है। क्वांटम युग के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता की जांच करता है। धार्मिक हठधर्मिता में नहीं बल्कि करुणा, सहानुभूति और परस्पर निर्भरता जैसे साझा मानवीय मूल्यों में निहित नैतिकता की दृष्टि पर आधारित, दलाई लामा नैतिकता के लिए एक धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण की वकालत करते हैं।
दिन के आखिरी सत्र में पोस्टर प्रेजेंटेशन किया गया जिसमें 43 छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रेजेंटेशन में भाग लिया।
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