भगवान भेष नहीं, मन की सुंदरता देखते हैं : राजेंद्र संख्यान
श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक राजेंद्र संख्यान ने कहा कि भगवान भेष नहीं, मन की सुंदरता देखते हैं। कथा का आयोजन गौशाला गोधाम भडोली भगोर में हुआ।
श्रीमद् भागवत कथा प्रभु संबंध अभियान एवं दुर्लभ सत्संग का आयोजन गौशाला गोधाम भडोली भगोर में जारी है। कथा के दौरान कथावाचक राजेंद्र संख्यान ने भक्तों को भागवत महिमा का बखान करते हुए बताया कि भगवान के लिए बाहरी रूप नहीं, बल्कि मन की सुंदरता और भाव की शुद्धता ही सबसे महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना का सुंदर भेष देखकर भी अपने नेत्र बंद कर लिए, उसी प्रकार प्रभु केवल शुद्ध हृदय वाले भक्तों को स्वीकार करते हैं।
राजेंद्र संख्यान ने श्रीरामचरितमानस का उदाहरण देते हुए कहा — “निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहे छल कपट छिद्र न भावा।”
इससे स्पष्ट होता है कि भगवान को पाने का मार्ग केवल निर्मल और निष्कलंक मन से होकर गुजरता है।
कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा का सार यही है — “प्रभु को पाने के लिए मन का शुद्ध भाव चाहिए, न कि बाहरी सजावट।”
कथा के दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और प्रभु भक्ति में लीन दिखाई दिए।
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