“ये पहाड़ी डिश है स्वाद और ताकत का अद्भुत मेल”

हिमाचल के चम्बा में बनता है बिचू बूटी का साग, जो स्वाद के साथ सेहत का खज़ाना भी है। जानें इसके फायदे और पारंपरिक बनाने का तरीका।

Sep 22, 2025 - 07:53
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“ये पहाड़ी डिश है स्वाद और ताकत का अद्भुत मेल”
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बिचू बूटी एक जंगली पत्तेदार पौधा है, जिसे पहाड़ी इलाकों में खाने के लिए उगाया या इकट्ठा किया जाता है। इसके पत्तों में हल्की चुभन होती है, लेकिन उबालने या भूनने के बाद यह स्वादिष्ट और पौष्टिक बन जाता है। हिमाचल के अलग-अलग जिलों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है – जैसे चम्बा में इसे अक्सर “बिचू बूटी” कहा जाता है, कुछ जगहों पर इसे “कंडली” या “सिस्नु” भी कहा जाता है। यह वसंत और बरसात के मौसम में आसानी से मिल जाता है।

क्या है और कहां पाई जाती है?

हिमाचल प्रदेश के चम्बा और आसपास के पहाड़ी इलाकों में एक अनोखा पत्तेदार पौधा पाया जाता है, जिसे स्थानीय लोग बड़े शौक से खाते हैं। यह पौधा खेतों के किनारे, जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर उगता है। आमतौर पर यह वसंत (spring) और शुरुआती बरसात के मौसम में आसानी से मिल जाता है। दिखने में साधारण लेकिन छूते ही हल्की चुभन देने वाली इसकी पत्तियां स्थानीय भोजन का अहम हिस्सा हैं।


औषधीय गुण और सेहत के फायदे

पहाड़ी लोग इसे केवल स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण भी खाते हैं। इसमें आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

  • यह शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में सहायक माना जाता है।

  • हड्डियों को मज़बूत करने और जोड़ों के दर्द से राहत देने में उपयोगी है।

  • पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

  • स्थानीय परंपरा में इसे ‘ताकत देने वाला साग’ कहा जाता है, जिसे खासकर सर्दियों से पहले खाने की सलाह दी जाती है।


पारंपरिक बनाने की विधि

चम्बा और आसपास के गांवों में इसे बनाने का तरीका पीढ़ियों से लगभग एक-सा है।

  1. ताज़ी पत्तियों को पहले अच्छे से धोकर उबलते पानी में कुछ मिनट के लिए डालते हैं ताकि चुभन खत्म हो जाए।

  2. इसके बाद पत्तों को बारीक काटकर या हल्का-सा पीसकर तैयार किया जाता है।

  3. कड़ाही में सरसों का तेल या देसी घी गरम करके उसमें लहसुन, हरी मिर्च और हल्के मसाले डाले जाते हैं।

  4. अब इसमें पत्ते डालकर कुछ देर तक भूनते हैं, जब तक कि स्वादिष्ट खुशबू न आने लगे।

  5. इसे आमतौर पर मक्की की रोटी या गरम चावल के साथ परोसा जाता है।

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