हर साल थोड़ा सा धरती में डूब जाता है शिवलिंग – कलियुग के अंत की भविष्यवाणी
हिमाचल के कैलिनाथ कलेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग तीन बार रंग बदलता है, और रहस्यमयी जलधारा हर 24 मिनट में अदृश्य शक्ति से गिरती है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित कैलिनाथ कलेश्वर महादेव मंदिर अपनी रहस्यमयी घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहता है। यहां का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है, और शिवलिंग पर गिरती जलधारा विज्ञान आज तक नहीं समझ सका। आस्था, अद्भुतता और प्रकृति के इस संगम पर हर साल हज़ारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मुख्य रहस्य और पौराणिकता
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रंग बदलता शिवलिंग:
मंदिर के शिवलिंग का रंग सुबह लाल, दोपहर केसरिया और शाम को गहरा नीला या काला हो जाता है। यह परिवर्तन हर दिन अनायास होता है—जिसे अब तक कोई वैज्ञानिक कारण नहीं मिला। -
जादुई जलधारा:
गर्भगृह की छत से हर 24 मिनट में एक जल की बूंद शिवलिंग पर गिरती है। जल-स्रोत को कोई देख नहीं पाया, न कोई पाइप या नाली है। जब भक्त मन से अराधना करते हैं तो भक्त मानते हैं जलधारा तेज़/मंद हो जाती है। -
शिवलिंग का धीरे-धीरे डूबना:
कथा के अनुसार, हर साल शिवलिंग जौ के दाने जितना धरती में धंस जाता है—इसका मतलब है कलियुग का अंत शिवलिंग डूबने पर। -
तपस्या स्थल और किवदंती:
मंदिर के संतों की मान्यता है कि माँ काली और स्वयं महादेव दोनों की संयुक्त शक्ति यहां विद्यमान है। साधक यहां ध्यान के लिए आते हैं—कहा जाता है, रातभर सच्चा ध्यान करने पर पूर्वजन्म के रहस्य तक दिख सकते हैं।
क्यों है यह मंदिर खास?
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रहस्यमयी शिवलिंग – विज्ञान भी आज तक जवाब नहीं दे पाया।
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पौराणिक कथा – हिन्दू संस्कृति, आस्था और परंपरा का प्रतीक।
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प्राकृतिक चमत्कार – जलधारा, रंग बदलना, अद्भुत माहौल।
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भक्तों के लिए जीवन बदल देने वाला अनुभव।
निष्कर्ष
कैलिनाथ कलेश्वर महादेव मंदिर में आकर कोई सिर्फ दर्शन ही नहीं करता, बल्कि हिमाचल की धरती की प्रकृति,मीठी आस्था और रहस्य का अनूठा संगम भी महसूस करता है। यह जगह सच में किसी चमत्कार से कम नहीं।
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