इंफ्लुएंसर्स की कमाई पर सरकार की नजर, भरना होगा टैक्स!
सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की कमाई पर सख्ती की। नया प्रोफेशनल कोड लागू, अब हर ब्रांड डील और रील की आय पर देना होगा टैक्स।

सोशल मीडिया पर कमाई करने वालों के लिए बड़ी खबर, सरकार ने इंफ्लुएंसर्स की आय पर टैक्स को लेकर सख्ती दिखाई है। अब हर ब्रांड डील, प्रमोशन और सोशल मीडिया रील से होने वाली कमाई पर टैक्स भरना अनिवार्य होगा।
देशभर में तेजी से बढ़ती क्रिएटर इकोनॉमी को ध्यान में रखते हुए आयकर विभाग ने सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स के लिए नया प्रोफेशनल कोड 16021 लागू कर दिया है। इस कोड के अंतर्गत YouTube, Instagram, Facebook, और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से होने वाली कमाई को अब ITR-3 या ITR-4 में स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा।
प्रदेश में 300 से अधिक इंफ्लुएंसर आयकर विभाग की रडार पर आ गए हैं। पहले जहां कंपनियां केवल टीडीएस (TDS) काटती थीं, अब कंटेंट क्रिएटर्स को खुद भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना अनिवार्य होगा।
क्या-क्या शामिल है इस टैक्स नियम में?
इसमें यूट्यूब वीडियो, इंस्टाग्राम रील्स, ब्रांड प्रमोशन, प्रोडक्ट सेल, और कंसल्टिंग जैसी डिजिटल गतिविधियों से होने वाली आमदनी शामिल है। यदि किसी इंफ्लुएंसर को किसी ब्रांड से ₹20,000 या उससे अधिक का गिफ्ट या भुगतान प्राप्त होता है, तो उस पर TDS काटा जा सकता है।
कैसे दाखिल करें टैक्स रिटर्न?
सीए पंकज शर्मा के अनुसार, यदि किसी क्रिएटर की सालाना आय ₹50 लाख से कम है, तो वह धारा 44ADA के अंतर्गत ITR-4 में अनुमानित आय पर टैक्स छूट का लाभ ले सकता है। ऐसे मामलों में 50% आय (यानी ₹25 लाख) पर टैक्स लगाया जाएगा। वहीं, ₹50 लाख से अधिक आय वालों को पूरी राशि पर टैक्स भरने के साथ खर्चों का ऑडिट भी करवाना होगा।
सरकार की इस सख्ती का क्या मकसद है?
बढ़ते डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन कमाई के चलते सरकार का उद्देश्य है कि हर प्रोफेशनल डिजिटल कमाई का पारदर्शी ढंग से टैक्स भुगतान करे। इससे ना सिर्फ टैक्स बेस बढ़ेगा बल्कि डिजिटल इकोनॉमी में जवाबदेही भी आएगी।
यदि आप भी सोशल मीडिया पर रील्स बनाकर या यूट्यूब चैनल के जरिए कमाई कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। समय रहते अपने टैक्स डॉक्युमेंट्स को अपडेट करें और नए नियमों का पालन करें।
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