नोबेल शांति पुरस्कार से ट्रंप बाहर! नॉर्वे पर गुस्से में पूर्व राष्ट्रपति
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा के बाद डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक भड़क उठे। रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप नॉर्वे से नाराज हैं और बयानबाज़ी तेज़ कर सकते हैं।

🌍 नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा के बाद ट्रंप का बढ़ा गुस्सा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
इस साल भी उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के संभावित दावेदारों में शामिल किया गया था, लेकिन पुरस्कार किसी और को मिलने के बाद ट्रंप और उनके समर्थकों ने नॉर्वे की आलोचना शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप ने इस फैसले को “अन्यायपूर्ण” बताया और कहा कि दुनिया उनके “शांति प्रयासों” को नज़रअंदाज़ कर रही है।
🏛️ ट्रंप का दावा – मेरे प्रयासों की अनदेखी की गई
ट्रंप का कहना है कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने कई महत्वपूर्ण राजनयिक पहलें कीं —
जिनमें मध्य पूर्व में अब्राहम समझौता, कोरियाई प्रायद्वीप में संवाद बहाली, और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग शामिल हैं।
उनका आरोप है कि इन प्रयासों के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया गया, जबकि पुरस्कार “राजनीतिक पसंद” के आधार पर दिया गया।
🇳🇴 नॉर्वे पर उठाए सवाल
नोबेल पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे स्थित नोबेल कमिटी करती है, जो पूरी तरह स्वतंत्र संस्था मानी जाती है।
फिर भी, ट्रंप ने नॉर्वे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “जो देश खुद को निष्पक्ष बताता है, वह वास्तव में पक्षपात दिखा रहा है।”
कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि ट्रंप अब नॉर्वे के साथ व्यापार और सुरक्षा समझौतों की समीक्षा का संकेत दे सकते हैं।
नॉर्वे की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया कि “सरकार का नोबेल कमिटी के निर्णय में कोई दखल नहीं”, और यह फैसला पूरी तरह स्वतंत्र रूप से लिया गया है।
⚖️ क्या अमेरिका-नॉर्वे संबंधों में आएगी दरार?
राजनयिक विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के बयानों से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक असहजता बढ़ सकती है,
लेकिन औपचारिक रिश्तों पर तत्काल असर पड़ने की संभावना कम है।
फिलहाल अमेरिकी प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
🧭 राजनीतिक विश्लेषण: नाराज़गी या रणनीति?
विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप की नाराज़गी केवल भावनात्मक नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से सोची-समझी चाल हो सकती है।
वे आगामी चुनावों से पहले “अमेरिका के साथ पक्षपात” का मुद्दा उठाकर अपने समर्थकों को एकजुट करना चाहते हैं।
ऐसे बयान ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ छवि को और मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखे जा रहे हैं।
🔚 निष्कर्ष
हालांकि यह विवाद अभी केवल बयानों तक सीमित है, लेकिन इससे स्पष्ट है कि नोबेल पुरस्कार न मिलने का दर्द ट्रंप को गहराई से चुभा है।
अगर आने वाले दिनों में उन्होंने इस विषय पर और कड़े रुख दिखाए, तो यह अमेरिका-नॉर्वे संबंधों में नई चुनौती बन सकता है।
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