डीएवी कालेज कांगड़ा में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन विभिन्न महाविद्यालयों के अध्यापक वर्ग एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र किए प्रस्तुत
एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रही तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन अमेरिका से लेकर आईआईटी तक के विशेषज्ञों और देशभर के शोधार्थियों ने cutting-edge विज्ञान और फार्मेसी पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

सुमन महाशा। कांगड़ा
एमसीएम डीएवी महाविद्यालय कांगड़ा में चल रही त्रि-दिवसीय महाविद्यालय कांगड़ा में चल रही अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन के पहले टेक्निकल सेशन में प्रथम वक्ता के रूप में डिपार्मेंट आफ फिजिक्स बोस्टन कॉलेज चैप्टर हिल यूएसए से डॉ विजेंद्र सिंह उपस्थित रहे। उनका वक्तव्य वर्चुअल माध्यम से था।
उन्होंने बताया कि लंबे समय से अध्ययन किए जा रहे चार्ज डेंसिटी वेव (CDW) सिस्टम GdTe और LaTe3 [1] में अक्षीय आयाम (हिग्स) मोड की हाल ही में हुई खोज से अब तक अज्ञात छिपे हुए क्रम का पता चलता है। एक सैद्धांतिक अध्ययन ने प्रस्तावित किया कि अक्षीय हिग्स CDW के एक छिपे हुए फेरोअक्षीय घटक से उत्पन्न होता है, जो गैर-तुच्छ कक्षीय बनावट से उत्पन्न हो सकता है। हमारा अध्ययन अपरंपरागत आदेशों को उजागर करने के लिए एक नया मानक प्रदान करता है और उन्हें प्रकट करने के लिए हिग्स मोड की शक्ति की पुष्टि करता है।
पहले टेक्निकल सेशन में दूसरे वक्ता के रूप में प्रोफेसर, स्कूल ऑफ़ लाइफ साइंस एंड डीन स्टूडेंटेस् वेल्फेयर केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश से डॉ सुनील कुमार उपस्थित रहे । उनका विषय कीटनाशक: पारिस्थितिकी तंत्र और प्रबंधन रणनीतियों पर प्रभाव रहा। उन्होंने बताया कि कीटनाशकों का व्यापक रूप से कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रथाओं में विभिन्न प्रकार के कीटों जैसे कीट, नेमाटोड, रोगजनकों, खरपतवार आदि को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इन रसायनों में कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, कृंतकनाशक आदि शामिल हैं जो हानिकारक कीटों के प्रबंधन में कुछ हद तक प्रभावी हैं लेकिन अंततः पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं।
दिन के दूसरे टेक्निकल सेशन में
पहले वक्ता के रूप में कैरियर पॉइंट यूनिवर्सिटी हमीरपुर से असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजिक्स डॉ इंदु शर्मा उपस्थित रही उनके वक्तव्य भी वर्चुअल माध्यम से था ।
उन्होंने बताया कि फेराइट चुंबकीय सिरेमिक सामग्री हैं जो अपनी उच्च पारगम्यता और कम विद्युत चालकता के कारण विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप (ईएमआई) परिरक्षण अनुप्रयोगों के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। वे घटना विकिरण को अवशोषित और परावर्तित करके विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रभावी ढंग से कम करते हैं, जिससे वे अवांछित विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण हो जाते हैं विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप (ईएमआई) परिरक्षण विभिन्न स्रोतों जैसे बिजली लाइनों, रेडियो तरंगों, माइक्रोवेव और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा उत्पन्न हस्तक्षेप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
दिन के दूसरे टेक्निकल सेशन में दूसरे वक्ता के रूप में डिपार्मेंट आफ फिजिक्स आईआईटी रोपड़ से डॉ विजय सिंह उपस्थित रहे ।
उन्होंने बताया कि ग्राफीन एक प्रसिद्ध 2D सामग्री है और नोवोसेलोव एट अल द्वारा इसकी खोज के बाद से इस पर गहनता से शोध किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर, ऊर्जा भंडारण उपकरणों आदि के क्षेत्र में ग्राफीन के अनुप्रयोग को इसके असाधारण विद्युत, प्रकाशीय और यांत्रिक गुणों के कारण गहनता से खोजा गया है। जबकि ग्राफीन ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है, इसमें बैंड गैप की कमी है और इस प्रकार यह उच्च ऑन-ऑफ करंट अनुपात या ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि की आवश्यकता वाले eअर्धचालक उपकरणों के लिए उपयुक्त नहीं है।
तीसरे टेक्निकल सेशन में पहले वक्ता के रूप में डिपार्मेंट आफ फिजिक्स आईआईटी रोपड़ से डॉ विवेकानंद शुक्ला उपस्थित रहे । उन्होंने बताया कि घनत्व कार्यात्मक सिद्धांत (DFT) आधुनिक रासायनिक भौतिकी और पदार्थ विज्ञान में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है। अपनी व्यापक सफलता के बावजूद, DFT को कार्बनिक-धातु इंटरफेस के लिए परिणामों की सटीक भविष्यवाणी करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ता है, जो ऊर्जा भंडारण, संवेदन उपकरणों और विषम उत्प्रेरक को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। DFT की सटीकता एक उपयुक्त विनिमय-सहसंबंध (XC) कार्यात्मक खोजने पर निर्भर करती है जो दोनों पक्षों का प्रभावी ढंग से वर्णन कर सकती है।
तीसरे टेक्निकल सेशन में दूसरे वक्ता के रूप में डॉ रितु गुप्ता डिपार्मेंट आफ फिजिक्स आईआईटी रोपड़ से उपस्थित रही। उन्होंने बताया कि
क्वांटम प्रभाव के परिणामस्वरूप क्वांटम सामग्री (QM) अक्सर असामान्य या नए इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक गुण प्रदर्शित करते हैं। इन सामग्रियों में मजबूत इलेक्ट्रॉनिक सहसंबंधों के परिणामस्वरूप आकर्षक और तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला होती है, जैसे कि सुपरकंडक्टिविटी (SC) फेरोमैग्नेटिज्म, मेटल-इंसुलेटर संक्रमण और टोपोलॉजिकल इंसुलेटर। QM कई रूपों में पाए जाते हैं, जिनमें धातु, इंसुलेटर और अर्धचालक शामिल हैं, और इन्हें रासायनिक वाष्प परिवहन, फ्लक्स वृद्धि, ठोस अवस्था पिघल आदि सहित कई तरीकों से संश्लेषित किया जा सकता है।
दिन के चौथे टेक्निकल सेशन में पहले वक्ता के रूप में डॉ लखन बैंसला डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजिक्स आईआईटी रोपड़ से उपस्थित रहे ।
उन्होंने बताया कि स्पिन हॉल नैनो-ऑसिलेटर (SHNO) छोटे स्पिनट्रॉनिक उपकरण हैं जो माइक्रोवेव सिग्नल उत्पन्न कर सकते हैं, जो उन्हें ऊर्जा-कुशल कंप्यूटिंग जैसी भविष्य की तकनीकों के लिए आशाजनक बनाता है [1, 2]। वे स्पिन हॉल प्रभाव [1-3] का उपयोग करके विद्युत प्रवाह को चुंबकीय दोलनों में परिवर्तित करके काम करते हैं। हालांकि, वर्तमान SHNO को उच्च ऊर्जा उपयोग और साफ सतहों के साथ पतली, उच्च-गुणवत्ता वाली सामग्री परतों को बनाने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
दिन के चौथे टेक्निकल सेशन में दूसरे वक्ता के रूप में डायरेक्टर कमाल प्रिंसिपल लाउरिएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी, ज्वाला जी से डॉ महेंद्र सिंह आश्वत उपस्थित रहे। उनका व्याख्यान वर्चुअल माध्यम से रहा। उनका विषय था आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन फार्मास्यूटिकल । उन्होंने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांति ला रही है और फार्मेसी का अभ्यास इसका अपवाद नहीं है। AI दवा प्रबंधन में सुधार, कार्यप्रवाह को सुव्यवस्थित करने और रोगी परिणामों में सुधार करके फार्मासिस्टों द्वारा देखभाल प्रदान करने के तरीके को बदल रहा है।
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ कुलदीप सिंह ने विशेष बातचीत में बताया कि दिन के आखिरी सत्र में 12 ओरल प्रेजेंटेशन दी गई जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के अध्यापक वर्ग एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
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