100 बिस्तरों के अस्पताल में महज 2 स्ट्रेचर और 3 व्हील चेयर
ज्वालामुखी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था टूटी व्हील चेयरों और स्ट्रेचरों पर लड़खड़ाती नजर आ रही है। हालात यह हैं कि 100 बिस्तरों की सुविधा देने वाले इस अस्पताल में महज 2 स्ट्रेचर और 3 व्हील चेयर हैं और वो भी दयनीय स्तिथि में हैं, जोकि अस्पताल की बदतर हालत को बयां कर रहे है।
प्रदीप शर्मा। ज्वालामुखी
ज्वालामुखी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था टूटी व्हील चेयरों और स्ट्रेचरों पर लड़खड़ाती नजर आ रही है। हालात यह हैं कि 100 बिस्तरों की सुविधा देने वाले इस अस्पताल में महज 2 स्ट्रेचर और 3 व्हील चेयर हैं और वो भी दयनीय स्तिथि में हैं, जोकि अस्पताल की बदतर हालत को बयां कर रहे है।
सिविल अस्पताल ज्वालामुखी में रोज करीब सैंकड़ो मरीज इलाज के लिए पहुंचते है, जिनमें से कई मरीजों को ओ पी डी तक पहुंचने के लिए व्हील चेयर या स्ट्रेचर की जरूरत पड़ती है। मगर सिविल अस्पताल ज्वालामुखी में स्तिथि यह है कि गेट पर जो व्हील चेयर और स्ट्रेचर दिखते हैं वह चलने लायक नही होते, जिस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में रखे स्ट्रेचर और व्हील चेयर की हालत ऐसी है की कई जगह इनके पहिए टूटे हैं तो कइयों के टायर ही गायब है।
यही नहीं अव्यवस्था का आलम ये है कि यहां मरीज को खुद ही खस्ताहाल व्हील चेयर के पहिए को हाथ से घसीट घसीट कर चलकर डॉक्टर तक पहुंचना पड़ता है।
बता दें कि ज्वालामुखी अस्पताल में स्ट्रेचरों ओर व्हील चेयर की कमी से मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। वहीं मरीजों का टूटी स्ट्रेचर व व्हील चेयर दर्द कम करने की बजाए इनका और दर्द बढ़ा रही है। हैरानी है कि इस और न तो स्वास्थ्य विभाग ध्यान दे रहा है और न ही प्रशासनिक अधिकारी। हालात ऐसे है कि बाहर पड़ी कोने में स्ट्रेचर और व्हील चेयर मरीजों के इस्तेमाल के लायक नहीं हैं। स्ट्रेचर की हालत तो ऐसी है कि यहां मरीज के गिरने का खतरा भी बना रहता है, वहीं ऐसा लगता है कि कई सालों से व्हीलचेयर व स्ट्रेचर का कार्य नही करवाया गया है। इससे ज्यादा जर्जर हालात बन गए हैं।
अंदर जाते ही लटके पड़े है कैमरे, अप्रिय घटना होने पर कौन है जबाबदेही ?
ज्वालाजी अस्पताल में एंट्री करते ही यहां लगा कैमरा लटके हुए दिखाई देता है। अब सवाल यह उठता है की अस्पताल में इस दौरान यदि कोई आपत्तिजनक घटना या किसी भी प्रकार की चोरी यहां होती है तो जहां निगरानी करने वाले कैमरे खुद ही अपना दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर फिर कोई अप्रिय घटना होने पर यहां जबाबदेही किसकी होगी।
1 साल से अधिक समय से खराब पड़ी है अल्ट्रासाउंड मशीन, कमरें के बाहर लटका है ताला
60 पंचायतों के स्वास्थ्य जिम्मा उठाने वाला ज्वालामुखी अस्पताल इस समय एक बड़ी कमी से जूझ रहा है। ज्वालामुखी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन को खराब पड़े एक साल से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक इसे ठीक करवाने की दिशा में कोई साकारात्मक कदम अस्पताल प्रबंधन द्वारा नही उठाए गए है। मजबूरन गर्वभती महिलाओं को 4 से 5 किलोमीटर और डेढ़ से 2 किलोमीटर का सफर तय कर निजी अस्पतालों में जाकर 700 रुपए अल्ट्रासाउंड का ऊपर से वहां अस्पताल पहुंचने का अलग से किराया चुकता करना पड़ता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन है कि टस से मस होकर बैठा है। हैरानी यह है की ऐसा पहली बार नही हुआ है अल्ट्रासाउंड मशीन ठीक होने के बाबजूद यहां हर बार खराब होती ही आई है, जिसके आंकड़े आपको अस्पताल में रखे राजिस्ट्रो में भी मिल जाएंगे। जहां एक और सरकार प्रदेश में अच्छी स्वास्थ सुविधाएं देने का दावा बात कर रही है वही ज्वालामुखी अस्पताल में यह वात मात्र खोखली साबित होती दिख रही है।
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