✨ मंडी का भूतनाथ मंदिर: जहां हर शिवरात्रि लगता है देव दरबार
मंडी का भूतनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित ऐतिहासिक स्थल है। शिवरात्रि पर यहां सैकड़ों देवी-देवताओं का संगम होता है, जिसे “देव दरबार” कहा जाता है।

🛕 भूतनाथ मंदिर, मंडी — शिवभक्ति और विरासत की अनोखी गाथा
🌿 1. मंदिर का परिचय
हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले के मध्य में, व्यास नदी के किनारे स्थित है भूतनाथ मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर न केवल मंडी शहर की पहचान है, बल्कि सदियों पुरानी आस्था, इतिहास और स्थापत्य कला का प्रतीक भी है। इस मंदिर का निर्माण 1527 ईस्वी में मंडी के तत्कालीन राजा अजय सेन द्वारा करवाया गया था। मंदिर की संरचना में हिमाचली और नागर शैली का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है।
📜 2. पौराणिक कथा और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भूतनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि राजा अजय सेन एक बार व्यास नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे। तभी भगवान शिव एक साधारण साधु के रूप में वहां प्रकट हुए। राजा ने उनकी तपस्या और सरलता से प्रभावित होकर उन्हें वहीं विराजमान रहने का आग्रह किया। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं को ‘भूतनाथ’ (भूतों के स्वामी) रूप में प्रकट किया और यहीं स्थापित हो गए। इसके बाद राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया और इसे नगर का मुख्य धार्मिक स्थल घोषित किया। इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर मंडी रियासत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता था। यहां शिवभक्ति केवल एक धार्मिक भावना नहीं, बल्कि रियासत की सांस्कृतिक धारा बन गई।
🧱 3. स्थापत्य कला और विशेषताएं
भूतनाथ मंदिर अपनी शिल्पकला और शांति के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में नागर शैली की विशिष्ट रचना देखने को मिलती है, जिसमें पत्थर और लकड़ी की नक्काशी का अद्भुत संगम है। मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा होती है। मंदिर के द्वार पर लकड़ी पर की गई बारीक कारीगरी स्थानीय शिल्पकारों की उत्कृष्ट कला को दर्शाती है। मंदिर के आसपास के बरामदे में श्रद्धालु बैठकर भजन-कीर्तन करते हैं, जिससे पूरा वातावरण शिवमय हो उठता है।
🪔 4. शिवरात्रि उत्सव — मंडी की पहचान
भूतनाथ मंदिर का असली वैभव मंडी शिवरात्रि उत्सव में देखने को मिलता है। हर साल फरवरी–मार्च में मनाया जाने वाला यह मेला 7 दिनों तक चलता है, जिसमें सैकड़ों देवी-देवताओं की शोभायात्राएं मंदिर परिसर में एकत्र होती हैं। किंवदंती है कि स्वयं भगवान भूतनाथ इन देवताओं के “राजा” माने जाते हैं और मेला उनके दरबार के रूप में मनाया जाता है। हजारों श्रद्धालु, पर्यटक और स्थानीय लोग इस ऐतिहासिक मेला में भाग लेते हैं। पूरा मंडी शहर इन दिनों “छोटे काशी” में बदल जाता है।
✨ 6. समापन — श्रद्धा और विरासत का संगम
भूतनाथ मंदिर केवल एक शिवालय नहीं, बल्कि मंडी की आत्मा है। यहां हर पत्थर में इतिहास की गूंज है, हर घंटे में भक्ति की धुन। यह मंदिर हमें बताता है कि कैसे एक स्थल आस्था, संस्कृति और स्थापत्य कला को सदियों तक एक साथ संजो सकता है।
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