टांडा मेडिकल कॉलेज में 50 वर्षीय व्यक्ति की पूर्ण एंडोस्कोपिक-डिस्क सर्जरी हुई सफल 

स्थानीय आबादी तक सुपर स्पेशलिटी सेवाओं का लाभ पहुंचाने की उत्कृष्टता तथा प्रतिबद्धता की खोज में और राज्य के बाहर स्वास्थ्य देखभाल की तलाश करने वाली स्थानीय आबादी पर बोझ को कम करने के लिए डॉ. आरपीजीएमसी टांडा कॉलेज में ही उपलब्ध अधिकतम प्रक्रियाएं प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।

Feb 1, 2024 - 22:12
Feb 1, 2024 - 22:30
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टांडा मेडिकल कॉलेज में 50 वर्षीय व्यक्ति की पूर्ण एंडोस्कोपिक-डिस्क सर्जरी हुई सफल 

सुमन महाशा। कांगड़ा

 स्थानीय आबादी तक सुपर स्पेशलिटी सेवाओं का लाभ पहुंचाने की उत्कृष्टता तथा प्रतिबद्धता की खोज में और राज्य के बाहर स्वास्थ्य देखभाल की तलाश करने वाली स्थानीय आबादी पर बोझ को कम करने के लिए डॉ. आरपीजीएमसी टांडा कॉलेज में ही उपलब्ध अधिकतम प्रक्रियाएं प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। संस्थान पहले से ही प्रदान की जा रही सेवाओं के स्पेक्ट्रम में लगातार इजाफा कर रहा है। यह बात संस्थान के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी ने न्यूरोसर्जरी प्रक्रियाओं के दायरे को बढ़ाने के लिए न्यूरोसर्जरी और एनेस्थीसिया विभाग को बधाई देते हुए कही। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का निरंतर समर्थन, प्रोत्साहन, तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल (डॉ.) धनीराम शांडिल के मार्गदर्शन और कैबिनेट रैंक, पर्यटन विभाग आर.एस. बाली के प्रयासों से 29 जनवरी 2024 को न्यूरोसर्जरी विभाग में "पूर्ण एंडोस्कोपिक-डिस्क सर्जरी" की गई। विभाग के अनुसार चंबा के एक 50 वर्षीय व्यक्ति ने स्लिप डिस्क की समस्या के साथ न्यूरोसर्जरी ओपीडी में शिकायत दर्ज कराई, वह पिछले एक महीने से पीड़ित था और इसके परिणामस्वरूप उसे चलने में बहुत कठिनाई हो रही थी। इसलिए उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई। सोमवार को उनकी पीठ पर एक टांके के साथ पूर्ण एंडोस्कोपिक  विधि द्वारा  लेजर स्पाइन डिस्क हटाने की सर्जरी की गई  जिसे न्यूरोसर्जन डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. भानु गुप्ता, और डॉ. महेश की एनेस्थीसिया विभाग की एक टीम ने किया। सर्जरी में ओटी स्टाफ नर्स-संदीप और मधु ने सहायता की। सर्जरी के बाद उन्हें ठीक कर दिया गया और बुधवार यानी 2 दिनों तक दर्द मुक्त स्थिति में रहने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। इस तरह की थेरेपी पहली बार डॉ. आरपीजीएमसी टांडा में शुरू की गई है और फिलहाल हिमाचल में यह एकमात्र सुविधा है, जहां इसे शुरू किया गया है। चिकित्सा की इस पद्धति की शुरुआत से निश्चित रूप से राज्य के लोगों को लाभ होगा और ऐसी स्थितियों से पीड़ित रोगियों के लिए यह आशा की किरण साबित होगी।

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