कांगड़ा में अटल सुशासन सम्मेलन, पवन काजल बोले—अटल जी आज भी प्रेरणा
कांगड़ा में भाजपा का अटल सुशासन सम्मेलन आयोजित, विधायक पवन काजल ने अटल बिहारी वाजपेयी के राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रकाश डाला।
सुमन महाशा। कांगड़ा
सोमवार को कांगड़ा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा अटल सुशासन सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष एवं विधायक पवन काजल विशेष रूप से उपस्थित रहे। सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों, सिद्धांतों और राष्ट्र सेवा को याद किया गया।
“अटल जी केवल नेता नहीं, संस्कारों की मिसाल थे”
अपने संबोधन में पवन काजल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि संस्कार, राष्ट्र सेवा और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीवंत मिसाल थे।
उन्होंने कहा कि अटल जी का संपूर्ण जीवन “राष्ट्र प्रथम” की भावना से ओतप्रोत रहा।
1957 से भारतीय राजनीति को दी नई दिशा
पवन काजल ने कहा कि वर्ष 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार संसद पहुंचे और इसके बाद उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय तक भारतीय राजनीति को दिशा दी।
उन्होंने बताया कि—
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अटल जी ने विपक्ष में रहते हुए भी राष्ट्रीय हित में सरकार की सराहना की
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लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक रहे
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संसदीय परंपराओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई
2047 का विकसित भारत, अटल जी के विजन का विस्तार
पवन काजल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखा गया 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य, अटल बिहारी वाजपेयी के विजन का ही विस्तार है।
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे—
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राष्ट्रवाद
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लोकतांत्रिक मूल्य
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सेवा भाव
को अपने जीवन में आत्मसात करें।
भाजपा के कई वरिष्ठ नेता रहे मौजूद
इस अवसर पर—
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रभारी राकेश शर्मा,
जिला अध्यक्ष सचिन शर्मा,
जिला महामंत्री देविंदर कोहली,
जिला उपाध्यक्ष रजनीश मोना,
ब्रजेश्वरी मंडल अध्यक्ष रणजीत सिंह,
जयंती मंडल अध्यक्ष अशोक कुमार,
सहित चम्पा भारद्वाज, विजय ठाकुर, रेखा चौधरी, बबीता संधू, शिखा चौधरी, सुरेश चौधरी, रमेश महेशी, नरेंद्र चौहान, अजित कुमार, अश्विनी कुमार, विजय कुमार और ऋषभ दीक्षित उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
अटल सुशासन सम्मेलन के माध्यम से भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। सम्मेलन ने सुशासन, राष्ट्र सेवा और लोकतांत्रिक मूल्यों को फिर से केंद्र में लाने का संदेश दिया।
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