दुर्गा अष्टमी 2025: जानें पूजा विधि, भोग और महत्व
दुर्गा अष्टमी 2025 पर जानें कब है तिथि, क्यों मनाई जाती है, पूजा विधि, भोग, कन्या पूजन का महत्व और क्या अर्पित करें माँ दुर्गा को।

नवरात्रि के पावन दिनों में माँ दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व होता है। नौ दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों की पूजा के बीच आठवां दिन यानी दुर्गा अष्टमी सबसे प्रमुख माना जाता है। इस वर्ष दुर्गा अष्टमी 30 सितंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
क्यों मनाई जाती है दुर्गा अष्टमी?
मान्यता है कि इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी। तभी से यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और शक्ति की उपासना का प्रतीक माना जाता है।
पूजा विधि
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
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धूप, दीप, सिंदूर, पुष्प और फल अर्पित करें।
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कन्या पूजन करें, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।
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दुर्गा सप्तशती का पाठ और आरती करें।
क्या पहनें?
दुर्गा अष्टमी पर लाल, पीला या गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है। महिलाएं पारंपरिक साड़ी या सलवार-कुर्ती पहनती हैं जबकि पुरुष कुर्ता-पायजामा धारण करते हैं।
क्या अर्पित करें माँ दुर्गा को?
माँ दुर्गा को लाल फूल, नारियल, चुनरी, सिंदूर और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। भोग में पूरी, काले चने और सूजी का हलवा प्रमुख हैं।
क्या खाएं?
व्रतधारी अन्न का सेवन नहीं करते। वे फल, दूध, साबूदाना खिचड़ी और सेंधा नमक वाले व्यंजन खाते हैं। कन्या पूजन के प्रसाद में बनी पूरी, चने और हलवा सभी ग्रहण करते हैं।
निष्कर्ष
दुर्गा अष्टमी 30 सितंबर 2025 को भक्तों के लिए माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का शुभ अवसर है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में सुख, शांति और शक्ति का संचार होता है।
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