"भरमौर का रहस्यमयी चौरासी मंदिर: जहां यमराज खुद करते हैं आत्माओं का फैसला"

चम्बा के भरमौर स्थित 1400 साल पुराने चौरासी मंदिर में भगवान शिव, शक्ति और यमराज विराजमान हैं। जानिए 84 सिद्धों व राजा साहिल वर्मन से जुड़ी अनोखी कथा।

Oct 21, 2025 - 09:23
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"भरमौर का रहस्यमयी चौरासी मंदिर: जहां यमराज खुद करते हैं आत्माओं का फैसला"
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भरमौर का चौरासी मंदिर: जहां देवता भी देते हैं न्याय

हिमाचल प्रदेश का चौरासी मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि रहस्य और इतिहास से भी भरा पड़ा है। चम्बा जिले के भरमौर नगर के बीच स्थित यह मंदिर परिसर करीब 1400 साल पुराना है और यहाँ 84 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनके कारण इसका नाम “चौरासी मंदिर” पड़ा। यह स्थान भगवान शिव और देवी शक्ति को समर्पित माना जाता है.


84 सिद्धों की तपस्थली

स्थानीय लोककथा के अनुसार, कुरुक्षेत्र से मणिमहेश की यात्रा पर जा रहे 84 सिद्ध योगी भरमौर में रुके थे। उस समय के निःसंतान राजा साहिल वर्मन ने उनका स्वागत किया। योगियों ने प्रसन्न होकर राजा को दस पुत्र और एक पुत्री (चंपावती) का वरदान दिया। उसी चंपावती की याद में बाद में चंबा शहर बसाया गया। इसी स्थान की स्मृति में मंदिरों का समूह बना, जो आज चौरासी मंदिर के नाम से जग प्रसिद्ध है.


यमराज की अदालत – अद्भुत मंदिर परिसर

चौरासी मंदिर के परिसर में स्थित यमराज मंदिर भारत में अद्वितीय है। मान्यता है कि मृत्यु के बाद हर आत्मा यहीं आती है और यमराज के सामने उसके कर्मों का लेखा-जोखा होता है।

  • पास ही चित्रगुप्त मंदिर भी है, जहां आत्मा के पाप-पुण्य गिने जाते हैं।

  • कहा जाता है कि यहां चार अदृश्य दरवाजे हैं—सोना, चांदी, तांबा और लोहा—जिनसे होकर आत्मा स्वर्ग या नरक की ओर जाती है।

  • भाई दूज के दिन यहां खास पूजा होती है, क्योंकि मान्यता है कि उस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने यहीं आते हैं.


स्थापत्य और धार्मिक महत्व

यह परिसर वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। केंद्र में बना मणिमहेश मंदिर, पारंपरिक उत्तर भारतीय शिखर शैली में निर्मित है। अन्य मंदिरों में विष्णु, हनुमान, लक्ष्मी नारायण आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। कहा जाता है कि मणिमहेश यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक भक्त चौरासी मंदिर के दर्शन न कर ले.


भक्तों के अनुभव

कई श्रद्धालु बताते हैं कि चौरासी मंदिर की शांत वायु और घंटियों की गूंज मन को आत्मिक शांति देती है। यहां लगातार जलती अखंड धूनी पिछले कई शताब्दियों से जारी है—जो देवभूमि हिमाचल की आस्था का प्रतीक मानी जाती है.


निष्कर्ष

भरमौर का चौरासी मंदिर केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि न्याय, मोक्ष और विश्वास का केंद्र है। जहां हिमाचल की पौराणिक धरोहर, योग परंपरा और लोककथाएं एक साथ जीवंत हो उठती हैं। यहां दर्शन मात्र से आत्मा को शांति और अंतर्मन को सौम्यता का अनुभव होता है

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