सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 8 अप्रैल को होगी सुनवाई
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 8 अप्रैल तक का समय दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से नागरिकता कानून की रोक की मांग की, लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया। सीएए के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं।
नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 237 याचिकाएं दायर हुई हैं। याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका शामिल है। आईयूएमएल ने याचिका में कहा है कि इस कानून में धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। आईयूएमएल के अलावा एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और केरल सरकार ने भी इस कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।
इस कानून के अनुसार सिर्फ हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों को ही नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत की नागरिकता दी जा सकेगी। मुस्लिम वर्ग के शरणार्थियों को इससे बाहर रखा गया है। मुस्लिमों को कानून से बाहर रखने के फैसले का ही लगातार विरोध हो रहा है। कानून का विरोध करने वालेों का आरोप है कि इस कानून का आधार धर्म है, जो देश के संविधान के खिलाफ है। गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून के नियमों को लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म के आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यक वर्ग के शरणार्थियों को ही भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
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