कांगड़ा में पेंशनरों का बड़ा ऐलान: विधानसभा घेराव की तैयारी
कांगड़ा में भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ ने लंबित वित्तीय मांगों को लेकर 28 नवंबर को तपोवन धर्मशाला में विधानसभा घेराव का ऐलान किया। पेंशनर बोले—अब सड़क पर उतरने को मजबूर।
सुमन महाशा। कांगड़ा
जिला कांगड़ा में भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ की बैठक में पेंशनरों ने सरकार के खिलाफ बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। लंबित वित्तीय देनदारियों और संशोधित पेंशन लाभ न मिलने के विरोध में पेंशनर अब 28 नवंबर को तपोवन धर्मशाला में विधानसभा घेराव करेंगे।
🧓 “80–92 वर्ष के पेंशनर भी सड़क पर उतरने को मजबूर” — महासंघ
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मदन चौधरी ने कहा कि पेंशनरों के—
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संशोधित वेतनमान
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पेंशन एरियर
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ग्रेच्युटी
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कम्यूटेशन
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लीव इनकैशमेंट
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मेडिकल रिम्बर्समेंट
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तथा 14% लंबित DA किस्तें
कई वर्षों से अटकी पड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहला मौका है जब इतनी अधिक उम्र के पेंशनर सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने पर मजबूर हैं।
⚠️ सरकार पर टाल-मटोल का आरोप
पेंशनर नेताओं ने आरोप लगाया कि प्राकृतिक आपदा का हवाला देकर सरकार आर्थिक संकट की बात तो करती है, लेकिन “अपने चहेतों” को आर्थिक लाभ देने में पीछे नहीं है।
महासंघ ने यह भी कहा कि कर्मचारियों व पेंशनरों को 4% की जगह सिर्फ 3% डीए दिया जा रहा है, जो सीधे तौर पर उनका अधिकार हड़पने जैसा है।
📅 28 नवंबर को विधानसभा घेराव — सभी यूनिटों को बुलावा
बैठक में तय किया गया कि प्रदेशभर की सभी यूनिटें 28 नवंबर को बड़ी संख्या में तपोवन धर्मशाला पहुंचेंगी।
हिमाचल प्रदेश पेंशनर संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर यह ऐतिहासिक प्रदर्शन किया जाएगा।
👥 बैठक में ये रहे उपस्थित
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वलराम पुरी (राज्य मुख्य संरक्षक)
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सुभाष पठानिया (अतिरिक्त सचिव)
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सुधीर पठानिया (जिला महासचिव)
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किशोरी लाल (कोषाध्यक्ष)
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देश प्रकाश (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य)
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अश्विनी बत्रा
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सुरेश चौधरी
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बृज लाल
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कुशल कटोच
आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
निष्कर्ष
पेंशनरों का यह कदम प्रदेश में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे रहा है। अब नजरें 28 नवंबर पर टिकी हैं कि विधानसभा घेराव कितना बड़ा रूप लेता है।
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