राष्ट्रीय प्रेस दिवस: धर्मशाला में फेक न्यूज पर बड़ी चिंतन सभा

धर्मशाला में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भ्रामक सूचनाओं और प्रेस की विश्वसनीयता पर परिचर्चा आयोजित। विशेषज्ञों ने फैक्ट-चेकिंग और तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर दिया।

Nov 15, 2025 - 20:24
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राष्ट्रीय प्रेस दिवस: धर्मशाला में फेक न्यूज पर बड़ी चिंतन सभा

मुनीश धीमान। धर्मशाला
राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर धर्मशाला में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। विषय था—“बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण।” कार्यक्रम में पुलिस, मीडिया विशेषज्ञों और विभिन्न समाचार संस्थानों के प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।


मुख्य अतिथि एसपी अशोक रत्न बोले—मीडिया लोकतंत्र की आधारशिला

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक अशोक रत्न ने अपने संबोधन में कहा कि आज के दौर में मीडिया की विश्वसनीयता बनाए रखना बेहद जरूरी है।

उन्होंने प्रमुख बातें कहीं—

  • हर पत्रकार को संतुलित, निष्पक्ष और सत्यापित खबर प्रस्तुत करनी चाहिए।

  • किसी भी खबर का फॉलो-अप पहली रिपोर्ट जितना ही महत्वपूर्ण है।

  • भ्रामक सूचनाओं की पहचान के लिए डेटा टूल्स और तकनीक आवश्यक हैं।

  • पुलिस विभाग पत्रकारों को आधुनिक डेटा टूल्स पर ट्रेिनिंग देने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि तकनीक का सही उपयोग ही मीडिया की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को मजबूत कर सकता है।


प्रो. प्रदीप नायर—“भ्रामक सूचना वैश्विक चुनौती, फैक्ट-चेकिंग अब अनिवार्य”

केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के अनुसंधान निदेशक (न्यू मीडिया) और मीडिया विशेषज्ञ प्रो. प्रदीप नायर ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा:

  • फेक न्यूज अब स्थानीय नहीं, वैश्विक समस्या है।

  • पत्रकारिता की मूल प्रक्रिया में फैक्ट-चेकिंग को स्थायी हिस्सा बनाना होगा।

  • गूगल समेत कई वैश्विक संस्थाएं पत्रकारों को फैक्ट-चेकिंग प्रशिक्षण दे रही हैं।

  • सीयू हिमाचल प्रदेश भी स्थानीय पत्रकारों के लिए टेक्निकल ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित कर सकता है।

उन्होंने कहा कि तकनीक, सत्यापन और नैतिक पत्रकारिता—तीनों का संतुलन ही मीडिया की विश्वसनीयता को बना सकता है।


स्थानीय पत्रकारों ने भी रखे विचार

परिचर्चा में स्थानीय मीडिया प्रतिनिधियों ने भी सक्रियता से भाग लिया।
उन्होंने कहा:

  • डिजिटल युग में गलत जानकारी की गति कई गुना बढ़ गई है।

  • ऐसे समय में पत्रकारों की जिम्मेदारी पहले से अधिक बढ़ जाती है

  • विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए संपादकीय सतर्कता और तथ्य-जांच सबसे आवश्यक है।


कार्यक्रम का संचालन और मुख्य उपस्थिति

इस अवसर पर जिला लोक संपर्क अधिकारी विनय शर्मा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और विषय पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र जसवाल, मीडिया संगठनों के प्रतिनिधि तथा विभिन्न पत्रकार उपस्थित रहे।


निष्कर्ष

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर धर्मशाला में आयोजित यह परिचर्चा मीडिया की विश्वसनीयता और जिम्मेदारी को लेकर बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई। विशेषज्ञों ने साफ कहा कि फेक न्यूज के इस दौर में तकनीक और फैक्ट-चेकिंग ही पत्रकारिता का भविष्य हैं।

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