डीएवी कॉलेज कांगड़ा में त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का दूसरा दिन
एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रहे त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन के पहले सत्र में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्रो महावीर सिंह अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे।

सुमन महाशा। कांगड़ा
एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रहे त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन के पहले सत्र में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्रो महावीर सिंह अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। इस सत्र में दो वक्ताओं ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
पहले वक्ता के रूप में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्रो. डॉ. डी.आर. ठाकुर ने अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने जैव विविधता के बारे में विस्तार से बताया। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने हिमालय रेंज के बारे में ,चंद्रताल झील, वन अभ्यारण्य, झीलों और वनस्पतियों के बारे मे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमालयन क्षेत्र में बहुत से प्रजातियां पाई जाती हैं और इनके संरक्षण की आवश्यकता है। इसके साथ ही इन प्रजातियों पर जंगलों में आग लगने के कारण, फसलों में केमिकल का प्रयोग करने से, वनों को काटने से और प्रदूषण से जीवो पर खतरा मंडराया हुआ है और भोपाल गैस त्रासदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ।
इस सत्र के दूसरे वक्त के रूप में एनआईटी श्रीनगर से डॉ विजय कुमार उपस्थित हुए । उन्होंने वर्चुअल माध्यम से फास्फोरस पदार्थ के बारे में विस्तार से चर्चा की।
दूसरे दिन के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो डी.आर.ठाकुर ने की । इस सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. महावीर सिंह रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में पर्यावरण के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि मोबाइल टावर की हानिकारक रेडिएशन से पर्यावरण के साथ-साथ प्रत्येक प्राणी को खतरा उत्पन्न हो गया है और विशेष रूप से इस रेडिएशन से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा है ।
दिन के तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रो महावीर सिंह ने की। इस सत्र में पहली वक्ता चंडीगढ़ से डॉ क्षमा रहीं। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया । उन्होंने
हाइड्रोजेल की मूलभूत अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि हाइड्रोजेल उत्पाद बहुलक सामग्रियों के एक समूह का गठन करते हैं, जिनकी हाइड्रोफिलिक संरचना उन्हें अपने त्रि-आयामी नेटवर्क में बड़ी मात्रा में पानी रखने में सक्षम बनाती है।
इसी सत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश से डॉ खेमराज वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने ग्रीन एनर्जी के विभिन्न आयामों के विषय में बताया । इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमारे वैदिक साहित्य में ग्रीन एनर्जी से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है जिसका प्रयोग करके हम इस दिशा में अग्रिम हो सकते हैं ।
दिन के इस अंतिम सत्र में 24 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया । अंत में पोस्टर प्रेजेंटेशन का आयोजन हुआ ।
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