“इस मंदिर की भव्यता और आस्था के रहस्य जानकर आप हैरान हो जाएंगे!”
चंबा का लक्ष्मीनारायण मंदिर 10वीं सदी का प्राचीन धरोहर है, जिसकी भव्यता और आस्था आज भी लाखों भक्तों को आकर्षित करती है।

🕉️ चंबा का धरोहर – लक्ष्मीनारायण मंदिर 🕉️
ऐतिहासिक झलक
हिमाचल प्रदेश के चंबा नगर में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर को 10वीं शताब्दी का माना जाता है। इसका निर्माण राजा साहिल वर्मा ने करवाया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और चंबा की पहचान का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि चंबा की स्थापना के समय ही इस मंदिर का निर्माण हुआ था, ताकि नगर का केंद्र धर्म और आस्था से जुड़ा रहे।
स्थापत्य की विशेषता
मंदिर की बनावट कत्यूरी शैली में है। पत्थर से बने ऊंचे शिखर, लकड़ी की नक्काशी और विशाल प्रांगण इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। शिखर पर लगा सुनहरा कलश सूरज की रोशनी में चमकता हुआ दूर से ही मंदिर की पहचान कराता है। मंदिर परिसर में विष्णु के साथ-साथ शिव, गोपालजी और अन्य देवी-देवताओं के भी छोटे मंदिर बने हैं।
कथा और मान्यता
कथा है कि जब राजा साहिल वर्मा ने अपनी पुत्री चंपावती के नाम पर चंबा नगर बसाया, तो उन्होंने नगर की रक्षा और समृद्धि के लिए भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। तभी से यह मंदिर चंबा की आस्था का केंद्र बन गया।
भक्त मानते हैं कि यहां दर्शन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन के संकट दूर हो जाते हैं। विष्णु-लक्ष्मी की संयुक्त पूजा से वैवाहिक जीवन और पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
उत्सव और मेलों की रौनक
इस मंदिर में हर साल जनमाष्टमी और राम नवमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु इस पावन अवसर पर चंबा पहुंचते हैं और भव्य झांकियों तथा भक्ति गीतों का आनंद लेते हैं।
चंबा की शान
लक्ष्मीनारायण मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि यह चंबा की संस्कृति और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। यहां की शांति, आध्यात्मिकता और दिव्यता हर आगंतुक को गहराई से छू लेती है।
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