“गसोता महादेव मंदिर: जहां भीम के प्रहार से फूटा जलस्रोत”
हमीरपुर का गसोता महादेव मंदिर पांडव काल से जुड़ा है। जनश्रुति अनुसार भीम के गदा प्रहार से यहां जलस्रोत फूटा था, जो आज भी बह रहा है।

जिला हमीरपुर का गसोता महादेव शिव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां स्थित हजारों वर्ष पुराना स्वयंभू शिवलिंग श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र माना जाता है।
देशभर से भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गसोता महादेव पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में प्रतिदिन लंगर की व्यवस्था रहती है, जहां श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। मंदिर में गोशाला भी है, जहां भक्तगण गायों के लिए स्वेच्छा से चारा और अन्य सामग्री दान करते हैं।
🔱 पांडवों से जुड़ा है इतिहास
लोककथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान गसोता महादेव मंदिर में कुछ समय व्यतीत किया था। कहा जाता है कि जब वे इस क्षेत्र में पहुंचे तो यह स्थान घने जंगलों से आच्छादित था। भीम ने यहां घराट (पानी से चलने वाला चक्की) बनाने का प्रयास किया।
एक बार क्षेत्र में भीषण सूखा पड़ा, जिससे गायें और पशु तड़पने लगे। भीम ने अपनी गदा से भूमि पर प्रहार किया, और उसी प्रहार से एक जलस्रोत फूट पड़ा। वह जलधारा आज भी मंदिर परिसर में प्रवाहित होती है, जिसे श्रद्धालु चमत्कार मानते हैं।
🌿 शिवलिंग की उत्पत्ति की कथा
जनश्रुति के अनुसार, गसोता गांव के एक किसान ने खेत जोतते समय अपने हल को किसी कठोर वस्तु से टकराया पाया।
पहली बार हल टकराने पर जलधारा निकली, दूसरी बार दूध, और तीसरी बार रक्त प्रवाहित हुआ। उसी क्षण किसान की आंखों की रोशनी चली गई।
बाद में भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर उसे आदेश दिया कि उस स्थान पर शिवलिंग को स्थापित किया जाए।
ग्रामीणों की सहायता से किसान ने स्वयंभू शिवलिंग स्थापित किया और उसे अभयदान प्राप्त हुआ।
🙏 श्रद्धा का केंद्र
मंदिर के पुजारी महंत राघवानंद गिरी बताते हैं कि गसोता महादेव मंदिर हजारों वर्षों से आस्था का प्रतीक है। यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।
वे कहते हैं —
“महादेव की पावन भूमि की महिमा इंद्रियों का नहीं, मन के विज्ञान का विषय है। यहां की सेवा और भक्ति से साधक सकल लोक की प्राप्ति कर सकता है।”
🕉️ महाशिवरात्रि का विशेष महत्व
हर वर्ष महाशिवरात्रि पर मंदिर में विशाल मेला आयोजित होता है। इस दिन हजारों भक्त जलाभिषेक कर भगवान शिव से वरदान मांगते हैं। मंदिर परिसर में भक्ति, भंडारा और भजन संध्या का आयोजन होता है, जो पूरी रात चलता है।
गसोता महादेव मंदिर आज भी हिमाचल प्रदेश की आध्यात्मिक पहचान और लोकविश्वास का प्रतीक बना हुआ है।
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