भारत ने रचा इतिहास: सेमीकंडक्टर निर्माण में बना सुपरपावर
भारत सरकार के 200 करोड़ निवेश से हाई-टेक चिप, मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स में ऐतिहासिक ग्रोथ। 98% मोबाइल भारत में, निर्यात भी रिकॉर्ड स्तर पर।
भारत अब सिर्फ आईटी या सॉफ्टवेयर ही नहीं, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफैक्चरिंग में भी सुपरपावर बनता जा रहा है। अक्टूबर 2025 में सरकार के 200 करोड़ रुपए के निवेश से देश का सेमीकंडक्टर मिशन एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
सरकार की बड़ी पहलें और मील के पत्थर
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केंद्र सरकार ने Semicon 2.0 के तहत 200 करोड़ से अधिक का ताज़ा निवेश किया।
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गुजरात, ओडिशा सहित कई राज्यों में नई फैब और असेंबली यूनिट्स चालू।
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CG Power और Tata-PSMC जैसी कंपनियों ने भारत में माइक्रोप्रोसेसर व चिप निर्माण की शुरुआत कर दी है।
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अक्टूबर 2025 में Kaynes Semicon प्लांट ने 6.3 मिलियन चिप्स प्रतिदिन का उत्पादन शुरू किया।
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ISRO का स्वदेशी VIKRAM प्रोसेसर और अन्य इनोवेशन भारतीय टेक्नोलॉजी को नई पहचान दे रहे हैं।
मोबाइल निर्माण में ऐतिहासिक उछाल
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अक्टूबर 2025 तक 98% मोबाइल डिवाइस देश में ही बन रहे हैं।
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पिछले छह महीनों में $13.5 बिलियन के मोबाइल का निर्यात—2024 के मुकाबले 60% से अधिक की वृद्धि।
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सिर्फ सितंबर 2025 में $1.8 बिलियन के मोबाइल विदेश बाजार में भेजे गए।
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भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है, एक्सपोर्ट व रोज़गार दोनों बढ़े हैं।
आत्मनिर्भर भारत की ओर...
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सरकार ने PLI स्कीम, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी, इनोवेशन हब के जरिए इस ग्रोथ को संभव किया है।
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2027 तक ज्यादातर मोबाइल कंपोनेंट्स भी ‘मेड इन इंडिया’ होंगे।
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हिमाचल सहित पूरे देश में टेक्नोलॉजी व मेन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप्स के लिए अपार मौके खुल रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन न केवल आत्मनिर्भरता की मिसाल है, बल्कि देश को ग्लोबल टेक्नोलॉजी हब की दिशा में भी अग्रसर कर रहा है। ये बदलाव सिर्फ उसी का संकेत नहीं कि हम विदेशों पर कम निर्भर हैं; बल्कि यह भारत के युवाओं और उद्योगों के नए दौर की शुरुआत है। अगर आप टेक्नोलॉजी या मैन्युफैक्चरिंग फील्ड में हैं, तो सचमुच अब सपनों की उड़ान हिमाचल से भी आसान है!
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