लोहड़ी: फसल कटाई का उत्सव और परंपराओं का जश्न
लोहड़ी हिमाचल, पंजाब और उत्तर भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
लोहड़ी हिमाचल, पंजाब और उत्तर भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार फसल की कटाई और नई फसल की शुरुआत का प्रतीक है। लोहड़ी मुख्य रूप से किसानों और कृषि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है।
फसल का त्योहार: लोहड़ी रबी की फसल की कटाई के समय मनाई जाती है। यह खासतौर पर गन्ना, गेहूं, और मूंगफली की फसल के लिए धन्यवाद देने का पर्व है।
सूर्य देव की पूजा: इस दिन सूर्य देव की आराधना की जाती है और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
सामाजिक एकता: लोहड़ी परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाने का त्योहार है।
अग्नि का पूजन: शाम को लोग आग जलाते हैं और उसमें तिल, गुड़, मूंगफली, और रेवड़ी डालकर पूजा करते हैं।
नृत्य और गीत: ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। पंजाबी लोकगीत जैसे "सुंदर मुंदरिये हो" गाए जाते हैं।
भोजन: इस दिन तिल-गुड़ की मिठाई, मक्की की रोटी, और सरसों का साग का विशेष महत्व होता है।
लोहड़ी के पीछे की कहानी
लोहड़ी से कई लोककथाएं जुड़ी हैं, जिनमें से दुल्ला भट्टी की कहानी सबसे प्रसिद्ध है। दुल्ला भट्टी एक वीर योद्धा था, जिसने गरीब लड़कियों की मदद की और उनकी शादियां करवाईं। उनकी याद में इस दिन गीत गाए जाते हैं।
लोहड़ी खुशहाली, समृद्धि और नई ऊर्जा का संदेश देता है। यह प्रकृति और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का त्योहार है।
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