जटोली महादेव: हिमाचल का वो मंदिर जहां पत्थरों से बजता है शिव का डमरू
जटोली महादेव मंदिर, सोलन—एशिया के सबसे ऊंचे शिवालय का चमत्कार! यहां पत्थरों पर थपथपाने से डमरू की आवाज सुनने मिलती है, जानें पूरी कथा।

सोलन जिले की पहाड़ियों में छिपा एक मंदिर है जिसने विज्ञान, आस्था और पौराणिकता—तीनों को एक साथ जोड़ दिया। यही है जटोली महादेव मंदिर, जो अपनी ऊंचाई, रहस्य और अनूठे चमत्कारों के लिए पूरे एशिया में प्रसिद्ध है।
पौराणिक गाथा और इतिहास
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मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं यहां ठहरे थे।
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"जटोली" नाम शिव जी की जटाओं से जुड़ा है।
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1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस की तपस्या से यहां जलकुंड प्रकट हुआ, जो आज भी औषधीय विशेषता रखता है।
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मंदिर का निर्माण 39 वर्षों तक चला और 2013 में पूरा हुआ।
वास्तुकला और अद्भुत चमत्कार
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एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर (111 फीट)।
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दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित सात मंज़िला भव्य मंदिर।
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स्फटिक (क्रिस्टल) शिवलिंग
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“सबसे बड़ा रहस्य”—यहां के पत्थरों को थपथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है।
यात्रा, आस्था और उत्सव
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हर महाशिवरात्रि व सावन में हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
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स्वामी कृष्णानंद जी की समाधि मंदिर परिसर में है।
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भक्तों का मानना है—यहां मांगी गई हर मन्नत जरूर पूरी होती है।
FAQ/सवाल-जवाब:
Q: सोलन का जटोली मंदिर इतना क्यों खास है?
A: अपनी ऊंचाई, पौराणिक जलकुंड और रहस्यमय पत्थरों के कारण।
Q: यहां कब और कैसे पहुंचे?
A: सोलन से 6 किमी, टैक्सी/बस से पहुंचें। सुबह 5 से रात 9 तक खुला रहता है।
Q: यहां किस पर्व पर ज्यादा भीड़ होती है?
A: महाशिवरात्रि व सावन में।
निष्कर्ष
जटोली महादेव मंदिर हिमाचल का गौरव है—जहां आस्था, प्रकृति और रहस्य का संयोग हर श्रद्धालु को अद्भुत अनुभव देता है। यदि आपको हिमाचल की संस्कृति और परम शिव-शक्ति का अनूठा दर्शन चाहिए, तो इस मंदिर की यात्रा जरूर करें!
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