रेवालसर झील: जहाँ झील, गोम्पा और गुरुद्वारा बुनते हैं आस्था की अनोखी गाथा 🪔

हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित रेवालसर झील आस्था, इतिहास और प्रकृति का संगम है। यहाँ झील, बौद्ध गोम्पा और गुरुद्वारा एक साथ मौजूद हैं।

Oct 7, 2025 - 18:57
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रेवालसर झील: जहाँ झील, गोम्पा और गुरुद्वारा बुनते हैं आस्था की अनोखी गाथा 🪔

रेवालसर (Rawalsar / Tso Pema) हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित एक पवित्र तालाब-नगर है, जहाँ झील, बौद्ध मठ और एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा साथ-साथ मौजूद हैं। यह स्थान हिन्दू, बौद्ध और सिख तीनों के लिए धार्मिक महत्त्व रखता है और यहाँ हर साल श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ रहती है।

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1) रेवालसर झील — स्वरुप और भूगोल

रेवालसर झील (Tso Pema) एक मध्यम-ऊँचाई वाली झील है, लगभग 1,360 मीटर की ऊँचाई पर बसी हुई। झील का आकार आयताकार के करीब है और पानी साफ़-ठंडा रहता है। झील के ऊपर तैरते हुए झाड़-घास (floating reeds) के छोटे टापू दिखते हैं, जिन्हें लोकजन पद्मसंभव की आत्मा से जोड़ते हैं।

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2) पौराणिक कथा — पद्मसंभव और मन्द्रवा की लीला

स्थानीय और तिब्बती परम्परा में रेवालसर की प्रमुख कथा पद्मसंभव (Guru Rinpoche / Padmasambhava) और राजकुमारी मन्द्रवा से जुड़ी है। कहा जाता है कि राजा ने दोनों को अग्नि में जलाने का आदेश दिया था, लेकिन अग्नि स्थल पर एक झील प्रकट हुई। झील से दोनों एक कमल पर प्रकट हुए और इस चमत्कार से राजा का हृदय परिवर्तित हुआ। यहीं से पद्मसंभव ने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया। इसी कारण तिब्बती भक्त इसे “Tso Pema” यानी कमल झील कहते हैं।

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3) बौद्ध मठ और पद्मसंभव की प्रतिमा

रेवालसर झील के किनारे और आसपास कई बौद्ध मठ (Gompas) स्थित हैं, जिनमें Nyingma और Drikung Kagyu परंपराएँ सक्रिय हैं। यहाँ स्थित 37.5 मीटर ऊँची पद्मसंभव की प्रतिमा प्रमुख आकर्षण है, जिसका उद्घाटन 2012 में 14वें दलाई लामा ने किया था। इस परिसर में पारंपरिक तिब्बती स्थापत्य, रंगीन थांग्का और ध्यान केंद्र देखने लायक हैं।

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4) गुरुद्वारा रेवालसर साहिब — इतिहास और महत्व

रेवालसर के ऊपरी ढलान पर स्थित गुरुद्वारा रेवालसर साहिब का संबंध गुरु गोबिन्द सिंह जी से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि वे यहाँ कुछ समय रुके और स्थानीय राजाओं के साथ कूटनीतिक चर्चा की। वर्तमान गुरुद्वारा 1930 में राजा जोगिंदर सेन ने बनवाया था। यह पत्थर से निर्मित है और यहाँ पहुँचने के लिए 108 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। गुरुद्वारे के साथ बना सरोवर श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्नान स्थल है।

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5) धार्मिक समन्वय — तीनों धर्मों का संगम

रेवालसर की सबसे अनोखी बात यह है कि एक छोटी सी जगह पर हिन्दू मंदिर, बौद्ध गोम्पा और सिख गुरुद्वारा शांतिपूर्वक साथ-साथ स्थित हैं। यहाँ तीनों धर्मों के श्रद्धालु एक साथ दर्शन करते हैं। झील के तट का शांत वातावरण, पानी में दिखते प्रतिबिंब और चारों ओर फैली हरियाली इसे अत्यंत आध्यात्मिक बनाती है।

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6) मेले और उत्सव

रेवालसर में सालभर धार्मिक उत्सव और मेले लगते रहते हैं। पद्मसंभव के जन्मोत्सव पर विशेष पूजा और तिब्बती शैली के Tsechu आयोजन होते हैं। इसके अलावा यहाँ सिसु मेला और बैसाखी मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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7) पर्यटन अनुभव — क्या देखें और यात्रा सुझाव

झील की सैर: शांत वातावरण में बैठना और तैरते टापुओं को देखना अनोखा अनुभव है।

पद्मसंभव प्रतिमा व गोम्पा: विशाल मूर्ति और मठ की कलात्मकता अद्भुत है।

गुरुद्वारा की सीढ़ियाँ: 108 सीढ़ियाँ चढ़ने का अनुभव धार्मिक और रोमांचक दोनों है।

गुफाएँ: आसपास की गुफाओं में साधकों की तपस्या के निशान आज भी देखे जा सकते हैं।


👉 यात्रा के लिए हल्के व आरामदायक कपड़े पहनें। बरसात में रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं। धार्मिक स्थलों पर मर्यादा बनाए रखें।

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8) छोटा सार — क्यों खास है रेवालसर?

रेवालसर बहु-धार्मिक सौहार्द, प्राचीन कथाओं और प्राकृतिक शांति का संगम है। यहाँ आध्यात्मिकता, इतिहास और संस्कृति एक ही स्थल पर जीवंत होती हैं, जो इसे हिमाचल के सबसे अनोखे तीर्थ स्थलों में शामिल करती है।

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