सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को लगाई पारदर्शिता की बड़ी फटकार!
सुप्रीम कोर्ट ने 2–3 नवंबर को चुनाव आयोग, केंद्र और लॉ कमीशन को निर्देश दिए कि सभी पार्टियां अपना संविधान, नियम और फंडिंग वेबसाइट पर डालें।
                                    2–3 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजनीतिक पार्टियों में पारदर्शिता लाने का बड़ा कदम उठाया। कोर्ट ने चुनाव आयोग (ECI), केंद्र और लॉ कमीशन को नोटिस जारी कर सख्त निर्देश दिए। इससे देश की राजनीति में बड़े बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
कोर्ट का आदेश: क्या, क्यों, कैसे?
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क्या निर्देश दिए:
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सभी रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियों को अपना मेमोरेंडम, नियम, रेगुलेशन अपनी वेबसाइट की होमपेज पर पब्लिश करना अनिवार्य।
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फंडिंग, ऑफिस-बेयरर और पार्टी संविधान का सार्वजनिक अपडेट जरूरी।
 
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किस मामले पर:
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PIL एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा—राजनीतिक दलों के आंतरिक लोकतंत्र, काले धन और फर्जी पार्टियों के बढ़ते मामलों को लेकर।
 
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कोर्ट की टिप्पणी:
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“याचिका में meaningful prayers हैं, चुनाव आयोग और सरकार को संजीदगी से जवाब देना होगा।”
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कोर्ट ने EC से compliance रिपोर्ट मांगी। अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय होगी।
 
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याचिका में क्या मांगें?
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पार्टी के संविधान, फंडिंग, संगठनात्मक नियमों को सबके सामने लाया जाए।
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शेल व फर्जी पार्टियों की रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो।
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अपराधियों को पार्टी पद देने पर रोक लगे।
 
Q&A/पाठक कनेक्ट
Q. क्या आम मतदाता को फायदा?
A. हाँ, दल और उनके नियम सबके सामने होंगे—पारदर्शिता बढ़ेगी, जनता जवाबदेही मांग सकेगी।
Q. आगे क्या होगा?
A. EC व सरकार के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट अगला बड़ा निर्देश जारी कर सकती है—राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता का नया दौर शुरू हो सकता है।
निष्कर्ष
पार्टी राजनीति में खुलेपन और जवाबदेही की मांग लोकतंत्र की मजबूती का बड़ा कदम है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से आने वाले दिनों में चुनावी राजनीति का चेहरा बदल सकता है।
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