छठ पर्व के अवसर सैंकड़ों प्रवासियों ने की ब्यास नदी में पूजा अर्चना 

रविवार को छठ पर्व के तीसरे दिन नादौन क्षेत्र में रह रहे सैंकड़ों प्रवासियों ने ब्यास नदी के किनारे पर विधिवत पूजा अर्चना की।

Nov 19, 2023 - 18:40
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छठ पर्व के अवसर सैंकड़ों प्रवासियों ने की ब्यास नदी में पूजा अर्चना 
छठ पर्व के अवसर सैंकड़ों प्रवासियों ने की ब्यास नदी में पूजा अर्चना 

रूहानी नरयाल। नादौन 

सनातन धर्म में छठ पूजा एक बहुत बड़ा पर्व है। संतान प्राप्ति तथा संतान की उन्नति के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस साल इस पर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हुई है रविवार को पर्व के तीसरे दिन नादौन क्षेत्र में रह रहे सैंकड़ों प्रवासियों ने ब्यास नदी के किनारे पर विधिवत पूजा अर्चना की। नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला यह पर्व चार दिनों का होता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य निर्जला व्रत रखकर छठ पूजा करने वाले छठ व्रतियों ने दूसरे दिन यानी खरना पर शाम को गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग एवं प्रसाद ग्रहण कर खरना किया। इसके बाद रविवार को छठ व्रती ने डूबते सूर्य को गेहूं के आटे और गुड़ व शक्कर से बने ठेकुए और चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, केला, हल्दी, सेब, फल-फूल हाथों में लेकर तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया। इसमें शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। छठ पूजा के 4 दिनों की पूजा विधि पहला दिन नहाय खाय-कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से यह व्रत शुरू होता है। इसी दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र को धारण करते हैं। दूसरा दिन खरना-कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना कहते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोजन करते हैं। तीसरा दिन-इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। चौथा दिन-सप्तमी को प्रातः सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं। इस त्योहार के दौरान लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। इस त्योहार के दौरान पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है और एक साथ ही सूर्य देव की प्रार्थना करता है। इसमें महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और छठी मैया की अराधना करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देवता की बहन हैं। छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। 

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