हिमाचल प्रदेश में बिजली बिल, दूध और पर्यावरण पर नया उपकर लागू
हिमाचल प्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को अब अपने बिजली बिल के साथ अतिरिक्त उपकर चुकाना होगा।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
हिमाचल प्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को अब अपने बिजली बिल के साथ अतिरिक्त उपकर चुकाना होगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में पारित विद्युत शुल्क संशोधन अधिनियम 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब उपभोक्ताओं को दूध और पर्यावरण उपकर देना होगा। यह कदम राज्य सरकार ने दूध उत्पादन बढ़ाने, किसानों को सशक्त करने और पर्यावरण की रक्षा करने के उद्देश्य से उठाया है।
दूध और पर्यावरण उपकर का प्रावधान
अब राज्य के 22 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसे दूध उपकर चुकाना होगा। हालांकि, जिन उपभोक्ताओं का बिल शून्य होता है, उनसे दूध उपकर नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा, लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं, स्टोन क्रशरों और अस्थायी कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से दूध उपकर के साथ-साथ पर्यावरण उपकर भी लिया जाएगा। पर्यावरण उपकर की दर 2 पैसे से लेकर 6 रुपये प्रति यूनिट तक होगी, जो उपभोक्ता की श्रेणी पर निर्भर करेगी।
उद्योगों के लिए पर्यावरण उपकर की श्रेणियां
उद्योगों के लिए पर्यावरण उपकर को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। लघु उद्योगों पर 2 पैसे प्रति यूनिट, मध्यम उद्योगों पर 4 पैसे प्रति यूनिट और बड़े उद्योगों पर 10 पैसे प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लिया जाएगा। इसके अलावा वाणिज्यिक उपभोक्ताओं, अस्थायी कनेक्शनों और स्टोन क्रशरों पर भी यह उपकर लागू होगा। विशेष रूप से, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों से 6 रुपये प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लिया जाएगा।
राज्य सरकार का उद्देश्य
प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को हरित राज्य बनाना और पर्यावरण को सहेजना है। इस नए उपकर से प्राप्त होने वाली आय का उपयोग प्रदेश की बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं और ऊर्जा विभाग के विकास कार्यों के लिए किया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह कदम हिमाचल के पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करेगा और प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेगा।
विधेयक का पारित होना और आगे की प्रक्रिया
यह विधेयक 9 सितंबर को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया था और 10 सितंबर को विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित हो गया। इसके बाद, यह राजभवन में राज्यपाल की मंजूरी के लिए लंबित था, जो 13 नवंबर को मिली। अब यह विधेयक एक अधिनियम के रूप में अस्तित्व में है, लेकिन इसे लागू करने से पहले सरकार को इसके नियम बनाने होंगे। नियमों के अधिसूचित होने के बाद ही उपकर लागू किया जाएगा।
यह कदम सरकार द्वारा उद्योगों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करने और प्रदेश की हरित योजनाओं को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
What's Your Reaction?






