पाक-अफगान सीमा पर झड़पें, तुर्की में शांति वार्ता शुरू
26-27 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान-अफगान सीमा पर झड़प में 5 सैनिक, 25 लड़ाके मारे गए। तुर्की के इस्तांबुल में तनाव कम करने को शांति वार्ता शुरू हुई।
पाकिस्तान-अफगान सीमा एक बार फिर युद्ध और तनाव की चपेट में है। 25-27 अक्टूबर 2025 को हलचल और झड़पों का नया दौर देखा गया, जिसमें दोनों देशों के कई जवान और आतंकवादी मारे गए। हालांकि, इन सबके बीच 'शांति' की उम्मीद अब तुर्की के इस्तांबुल तक पहुंच गई है। सीमा विवाद और आतंकवाद की पृष्ठभूमि लिए ये घटनाएं सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी दक्षिण एशिया की स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं। पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और अफगान आतंकवादियों के बीच कठोर टकराव के बाद अब बातचीत का रुख नजर आ रहा है।
घटनाओं का ताजा़ क्रम
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25-26 अक्टूबर: पाकिस्तान के North Waziristan और Kurram सेक्टर्स में नियंत्रण रेखा के पास अफगान सरहद से आए आतंकवादियों के साथ तीखी भिड़ंत। जवाबी कार्रवाई में 5 पाकिस्तानी जवान और 25 लड़ाके मारे गए।
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पाकिस्तानी सेना के अनुसार: ISPR के प्रेस नोट में बताया गया कि यह टकराव हाल के वर्षों में सबसे घातक रहा। सीमा सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई है।
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26 अक्टूबर: इसी तनाव के बीच इस्तांबुल (तुर्की) में पाकिस्तान-अफगानिस्तान अधिकारियों ने शांति वार्ता शुरू की। रात-दिन दस्तावेज़ों के आदान-प्रदान के साथ संभावित समझौते की ओर बढ़त दिख रही है।
शांति वार्ता में क्या हुआ?
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वार्ता का फोकस: सीमा पर बार-बार होने वाली लड़ाई, आतंकवादी घुसपैठ और भविष्य में शांति के ठोस ढांचे पर चर्चा।
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तुर्की की भूमिका: दोनों देशों को बैठाकर डिप्लोमैटिक समाधान ढूंढना।
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अधिकारियों के अनुसार: अफगान प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान को शांति समझौते का ड्राफ्ट दिया, जिसपर संबंधित क्षेत्रों की आपत्तियां और सुझाव भेजे गए।
कारण और पृष्ठभूमि
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान इलाक़े आतंकवादी गतिविधियों का गढ़ बने हैं, जबकि तालिबान सरकार आरोप खारिज करती रही है। ऐसे संघर्षों में आम नागरिकों की सुरक्षा भी चिंता का कारण बनी हुई है।
पाठकों के सवाल और विशेषज्ञों की सलाह
Q: क्या सीमा संघर्ष आगे बढ़ेगा या शांति बहाल होगी?
A: वार्ता की सफलता पर ही सब निर्भर, फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण लेकिन उम्मीद बरकरार।
Q: क्या भारत पर असर है?
A: सीमाई क्षेत्र की स्थिरता भारत समेत सभी पड़ोसी देशों के लिए रणनीतिक महत्व रखती है।
इंसानी टच
सीमा पर अशांति ना सिर्फ सैनिक या राजनयिक स्तर पर, बल्कि आम नागरिकों की जिंदगी पर गहरा असर डालती है। हिमाचल जैसे शांत प्रदेशों में भी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की गूंज महसूस की जाती है — सबकी नजरें अब तुर्की में चल रही वार्ता पर टिकी हैं।
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