थोड़े-थोड़े दिनों में FD कराएं और उठाएं ऊंचे इंटरेस्ट रेट का फायदा
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक साल तक की अवधि वाली एफडी पर ब्याज दरें 25-75 आधार अंकों तक बढ़ाई हैं, जिससे वर्तमान दरों पर एफडी में निवेश का यह सही समय है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे विविध अवधि वाली एफडी में धीरे-धीरे पैसा लगाएं और अधिकतर एफडी बड़े बैंकों में ही कराएं।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में एक साल तक की अवधि वाली अपनी सावधि जमा (FD) पर ब्याज दर में 25 से 75 आधार अंकों की वृद्धि की है। वर्तमान में ब्याज दरें उच्च स्तर पर हैं, और इनका और बढ़ना संभावित नहीं दिख रहा है। इसलिए, इसी दर पर एफडी में पैसा लगाना उचित समय है। स्टेट बैंक ने दो प्रमुख कारणों से एफडी पर ब्याज दर बढ़ाई है।
बढ़ी कर्ज की मांग और तरलता की आवश्यकता: प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन के अनुसार, ‘कर्ज की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे बैंकों का कर्ज-जमा अनुपात काफी हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी महंगाई को नियंत्रित करने के लिए तरलता पर कड़ी पकड़ बनाई है। इसलिए, बैंकों को अपने बहीखाते में तरलता बनाए रखने के लिए जमा योजनाओं के जरिए रकम हासिल करनी पड़ रही है।’
लंबी अवधि की एफडी का लाभ: वर्तमान ब्याज दर का वास्तविक लाभ उठाने के लिए लंबी अवधि की एफडी करना लाभदायक है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और फिनस्कॉलर्ज वेल्थ मैनेजर्स की प्रिंसिपल एडवाइजर रेणु माहेश्वरी का कहना है, ‘निकट भविष्य में यदि दरें कम होती हैं, तो भी आपकी एफडी आपको अधिक ब्याज देगी।’ हालांकि, उनकी सलाह है कि लंबी अवधि की एफडी में अत्यधिक पैसा न लगाया जाए।
विविध अवधि वाली एफडी में निवेश: धवन की सलाह है कि अगले कुछ महीनों में धीरे-धीरे एफडी में रकम लगाएं। अलग-अलग अवधि वाली एफडी में निवेश करना समझदारी होगी ताकि पैसे को बेहतर दर पर दोबारा निवेश करने में सहूलियत हो। सभी एफडी एक ही समय पर पूरी होने पर और उस समय ब्याज दरें कम होने पर निवेशक को कम दर पर ही दोबारा एफडी करानी पड़ सकती है।
दरों की तुलना और सावधानियां: रेणु माहेश्वरी याद दिलाती हैं कि बड़े निजी या सरकारी बैंकों की दरों की तुलना सहकारी बैंकों या कंपनियों की एफडी पर ब्याज दरों से न करें, क्योंकि जोखिम का स्तर अलग-अलग होता है। धवन के अनुसार, ज्यादा बैंकों में एफडी कराने से कर संबंधी जानकारी देना मुश्किल हो सकता है और आपके जाने के बाद परिवार के लिए पूरी रकम का पता लगाना कठिन हो सकता है। तीन बैंकों में एफडी कराना पर्याप्त होगा और ज्यादातर एफडी बड़े बैंकों में ही कराएं।
स्मॉल फाइनैंस बैंक और सहकारी बैंकों से सावधानी: सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव की राय है कि एफडी के लिए रखी रकम का छोटा हिस्सा किसी स्मॉल फाइनैंस बैंक में लगाएं, लेकिन सहकारी बैंकों से दूर रहें क्योंकि वहां पैसा डूबने का जोखिम होता है।
कितना पैसा एफडी में लगाएं: निवेश का कितना हिस्सा एफडी में लगाना चाहिए, इसके लिए पहले यह तय करें कि आपको कितनी रकम कहां लगानी है। इसके बाद फिक्स्ड इनकम योजनाओं में निवेश के लिए तय रकम का वह हिस्सा एफडी में लगाएं, जिसमें आपको सुरक्षा और तरलता चाहिए। अगर आपका कोई वित्तीय लक्ष्य एक से तीन साल दूर है, तो उसके लिए जरूरी रकम एफडी में लगा सकते हैं। अचानक आने वाली जरूरतों के लिए भी रकम एफडी में रखी जा सकती है।
आप जिस आयकर दायरे में आते हैं, आपकी एफडी पर भी उसी दर से कर वसूला जाता है। इसलिए कम आयकर स्लैब वाले निवेशकों को फिक्स्ड इनकम योजनाओं वाली अपनी ज्यादातर रकम एफडी में डालनी चाहिए। मगर लंबे समय के निवेश के लिए रखी ज्यादातर रकम एफडी में नहीं लगानी चाहिए। रेणु माहेश्वरी का कहना है कि कर घटाने के बाद एफडी का रिटर्न महंगाई के हिसाब से नहीं बढ़ पाएगा। अंत में यह सुनिश्चित करें कि जिस संस्थान में आप एफडी करा रहे हैं, उसमें क्रेडिट का जोखिम तो नहीं है।
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