हिमाचल का वो धाम जहां शिव खुद करते हैं वास
हिमाचल के चंबा में स्थित मणिमहेश झील को शिव का धाम माना जाता है। जानिए क्यों इसे कैलाश का प्रतिबिंब कहा जाता है और क्या है इसकी कथा।

हिमाचल प्रदेश के भरमौर (चंबा) जिले में समुद्रतल से करीब 13,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है मणिमहेश झील, जिसे कैलाश का प्रतिबिंब भी कहा जाता है। माना जाता है कि यह झील भगवान भोलेनाथ की तपोभूमि है।
1. शिव का कैलाश यहाँ क्यों?
कथा है कि जब भगवान शिव ने मां पार्वती से विवाह किया, तो विवाह के बाद वे तप करने और साधना हेतु इसी स्थान पर आकर विराजमान हो गए। तभी से इस पर्वत को शिव का कैलाश कहा जाने लगा।
2. "मणि" का रहस्य
कहा जाता है कि भगवान शिव के जटाओं में जड़ा हुआ दिव्य रत्न (मणि) है। रात के समय चंद्रमा की रोशनी जब पर्वत की चोटी पर पड़ती है, तो वह मणि जैसा चमकता है। इसी कारण इस पर्वत को मणिमहेश नाम मिला।
3. देवी पार्वती और झील
माना जाता है कि मां पार्वती ने भी यहाँ आकर स्नान किया था। झील का जल आज भी इतना पवित्र माना जाता है कि यात्री इसमें डुबकी लगाकर अपने सारे पाप धोने का विश्वास रखते हैं।
4. श्रापित झील का हिस्सा
किंवदंती है कि एक बार एक चरवाहे ने अपनी गायों को झील में उतार दिया। भगवान शिव इससे अप्रसन्न हुए और उन्होंने उस जगह को श्रापित कर दिया। कहते हैं तभी से झील का एक हिस्सा “कौआ कुंड” कहलाया, जिसमें कोई भी जीवित प्राणी प्रवेश नहीं कर सकता।
5. गुप्त मार्ग और चमत्कार
स्थानीय मान्यता है कि झील से एक अदृश्य मार्ग सीधे कैलाश पर्वत तक जाता है। अनेक श्रद्धालु कहते हैं कि मणिमहेश में आज भी भगवान शिव अपनी दिव्य उपस्थिति का एहसास कराते हैं। कई बार यात्रियों को झील के किनारे ध्यानमग्न साधु दिखाई देते हैं, जो पल भर में लुप्त हो जाते हैं।
6. मणिमहेश यात्रा
हर साल भाद्रपद (सितंबर) में मणिमहेश यात्रा होती है। यात्री भरमौर से चलकर कठिन रास्तों, खतरनाक चढ़ाइयों और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच होते हुए झील तक पहुँचते हैं। मान्यता है कि जिसने जीवन में एक बार भी मणिमहेश झील का दर्शन कर लिया, वह मोक्ष प्राप्त करता है।
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