सरकार की नई पहल की पहली कड़ी दूरस्थ गांव क्वार से हुई शुरु
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की सरकारें हमेशा लोगों की समस्याओं का निवारण करने के लिए सक्रिय रही हैं।

अनिल कपलेश। बड़सर
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की सरकारें हमेशा लोगों की समस्याओं का निवारण करने के लिए सक्रिय रही हैं। पूर्व में, कांग्रेस की सरकार ने "सरकार जनता के द्वारा" कार्यक्रम के तहत और जयराम ठाकुर की भाजपा सरकार ने "जन मंच" के तहत लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया।
वर्तमान में, सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का जमीनी स्तर पर आकलन करने की पहल की है। यह सुक्खू सरकार की पहल पूर्व की सरकारों के कार्यक्रमों से अलग है। पूर्व की सरकारें लोगों की समस्याओं को जनमंच व सरकार जनता के द्वार जैसे कार्यक्रमों का भव्य आयोजन कर निपटाने पर केंद्रित थीं जबकि सुक्खू सरकार दूरदराज के गांवों में जाकर नीतियों और परियोजनाओं के कार्यान्वयन के परिणामों की समीक्षा करेगी और उनकी कमियों को सुधारने की कोशिश करेगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस कार्यक्रम का आरंभ प्रदेश के सबसे दूरस्थ गांव क्वार से किया। मुख्यमंत्री ने वहां के लोगों के साथ सामान्य व्यक्ति की तरह मिलकर संवाद कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास कर रहे हैं। वह गांव के बड़े-बूढ़ों, युवाओं और महिलाओं से बातचीत करेंगे और पूरी शाम उनके साथ बिताएंगे। अधिकारी लोगों से नीतियों और परियोजनाओं की संपूर्ण जानकारी लेंगे और उनकी धरातलीय स्थिति का आकलन करेंगे।
इस बीच, लोगों से संवाद करके वह उनकी समस्याओं का समाधान भी करेंगे। पूर्व की जयराम सरकार ने जन मंच की शुरुआत की थी, जिसमें अधिकारियों ने क्षेत्र की समस्याओं को इकट्ठा किया और भव्य आयोजनों में उनका समाधान किया। पूर्व सरकार ने 256 जन मंच कार्यक्रमों के माध्यम से 50,000 शिकायतों का निवारण किया, जिनमें बिजली, पानी और भूमि विवाद जैसे मुद्दे शामिल थे। इससे लोगों को लाभ मिला, लेकिन कांग्रेस ने इसके ताम-झाम और बेफिजूल खर्च पर आलोचना की थी, आरोप लगाया कि जयराम की सरकार ने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया।
आज कांग्रेस का दावा है कि उसने भूमि संबंधी विवादों का निपटारा करने के लिए सख्त कानून बनाए हैं और प्रशासन को चुस्त किया है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लंबित मामले कुछ ही महीनों में सुलटाए गए हैं, बिना किसी अतिरिक्त खर्च के। लोग भी इस पहल की प्रशंसा कर रहे हैं।
सुक्खू सरकार का "घर द्वार" कार्यक्रम कितना सफल है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन वर्तमान में यह पूर्व सरकारों के कार्यक्रमों से अलग और बेहतर नजर आ रहा है।
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