मिट्टी के दीयों की परम्परा बरकरार रखने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बना रही है दीये और मोमबत्तियां
मिट्टी के दियों की पहचान बरकरार रखने के लिए में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दिन-रात एक करके अपनी पुरानी परम्परा को बनाए रखने के लिए गोबर के दीये और मोमबत्तियां बनाने में जुटी हैं।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
आधुनिकता के दौर में लोगों ने मिट्टी के दीयों को अंधेरे में धकेल दिया हैं। मिट्टी के दियों की पहचान बरकरार रखने के लिए में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दिन-रात एक करके अपनी पुरानी परम्परा को बनाए रखने के लिए गोबर के दीये और मोमबत्तियां बनाने में जुटी हैं।
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं का कहना है कि त्योहारों में मिट्टी के दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है तथा पर्यावरण को भी नुक्सान नहीं पहुंचता। उनका कहना है कि जैसे-जैसे लोगों को मिट्टी के दीयों की महत्ता के बारे में पता चला रहा है, लोग इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं और इनकी बाजार में मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है।
ऊना की ग्राम पंचायत रामपुर की अनीता राणा ने बताया कि नौ स्वयं सहायता समूह संगठित करके एक समूह बनाया है जिसे महाकाल ग्राम संगठन का नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी नौ स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दीपावली त्यौहार के लिए मोमबत्ती और दीये बनाने में लगी हुई हैं। महिलाएं विभिन्न रंगों की सुंदर आकार की मोमबत्तियां तथा गाय के गोबर और मिट्टी के मिश्रण से सजावटी दीये बना रही हैं।
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा इनकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। लोगों की मांग को ध्यान में रखकर समूह की महिलाएं मोमबत्तियां व दीये निर्मित कर रही हैं। महाकाल ग्राम संगठन की प्रधान अनीता राणा ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से ग्रुप जुड़ा हुआ है। एनआरएलएम के माध्यम ग्रुप को 2,500 रूपये स्टार्टअप फंड तथा 15,000 रूपये रिवॉल्विंग फंड के रूप में मिलते हैं।
इसके अतिरिक्त ग्रुप की महिलाएं अपनी सेविंग से 100-100 रूपये प्रतिमाह एकत्रित करके जमा करती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ी बल्कि जमा राशि में से ही एक प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ और महिलाओं को घर बैठे रोजगार का अवसर मिला।
अनीता राणा ने बताया कि एसएचजी समूह की सभी महिलाएं दीये और मोमबत्तियां बनाने में प्रशिक्षित हैं और कड़ी मेहनत करके सुंदर और आकर्षक दीये बनाने में काफी मेहनत कर रही हैं ताकि लोग दीये और मोमबत्तियों के सुंदर और आकर्षक डिजाइनों से आकर्षित होकर इन्हें खरीदें। उन्होंने बताया कि निर्मित दीये और मोमबत्तियों की बिक्री के लिए प्रशासन द्वारा उन्हें उचित स्थल उपलब्ध करवाया जाता है।
जिला के विभिन्न समूहों से जुड़ी महिलाएं दीवाली त्यौहार के लिए मिलेटस से बनी मिठाईयां और गोबर-मिट्टी से बने दीये और मोमबत्तियां बना रही हैं। समूहों द्वारा तैयार उत्पादों को बिक्री के लिए एमसी पार्क ऊना में विशेष स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि वहां पर आसानी से एक स्थान पर ही अपने उत्पादों को बेच सकें। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे एसएचजी द्वारा निर्मित उत्पादों को खरीदें क्योंकि यह गुणवत्ता युक्त हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए सरकार द्वारा एक बेहतर प्रयास है।
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