चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास अस्पताल भोटा बंद होने के कगार पर

हिमाचल प्रदेश में अपने आप में अकेला अनोखा चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा जिला हमीरपुर के भोटा में पिछले लगभग 25 वर्षों से चलाया जा रहा है जिसमें 45 बेड की क्षमता है।

Nov 21, 2024 - 16:37
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चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास अस्पताल भोटा बंद होने के कगार पर

अभिषेक सेठी । डंगार चौक

हिमाचल प्रदेश में अपने आप में अकेला अनोखा चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा जिला हमीरपुर के भोटा में पिछले लगभग 25 वर्षों से चलाया जा रहा हैजिसमे 45 बेड की क्षमता है। इस अस्पताल में ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर के 1हजार गांवों के लगभग 4लाख लोग मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लेते हैं। पीजीआई चंडीगढ व ब्यास से आने वाली टीम द्वारा यहां मुफ्त ऑपरेशन व ओपीडी के अलावा दवाइयां भी लोगों को कम दरों पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। साथ ही मरीजो के बाजार में 5-5हजार रूपये के होने वाले टैस्ट भी इस अस्पताल के फार्म पर लगभग 1500रूपये के होते हैं।

खास बात यह है कि अस्पताल संचालन का हर महीने करोड़ों रुपये का खर्च ट्रस्ट द्वारा स्वयं वहन किया जाता है और बीमारों व तीमारदारों से कोई पैसा नहीं लिया जाता आखों के ऑपरेशन भी यहां हर सप्ताह किए जाते है।

लेकिन अब राधास्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा के संचालन को लेकर पेच फंस गया है। ब्यास प्रबंधन की ओर से 45 बेड की सुविधा वाले इस अस्पताल को अपग्रेड करने की योजना के तहत जमीन को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी के नाम हस्तांतरित करने का आग्रह सरकार से किया गया था। इस अस्पताल को अपग्रेड करने के लिए मशीनरी और अन्य जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए टैक्स का भुगतान करोड़ों रुपये में बन रहा है।

ऐसे में अतिरिक्त खर्च जीएसटी टैक्स के रूप मे करोडो रू बन रहा है जिसे संस् नही चुका सकती इस पर ब्यास प्रबंधन ने सरकार से आग्रह किया था कि अस्पताल भवन की जमीन के हिस्से को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी के नाम ट्रांसफर कर दिया जाए, ताकि अस्पताल को अपग्रेड किया जा सके। ब्यास प्रबंधन की इस मांग को पूरा करने में हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट आड़े आ रहा है। सरकार की ओर से रियायत मिलने पर ही जमीन हस्तातंरण संभव है, लेकिन इसमें धारा 118 की उलझन भी पेश आ सकती है।

ब्यास प्रबंधन ने प्रदेश सरकार के समक्ष इस मसले को रखा है। जिला प्रशासन हमीरपुर की ओर से इस विषय पर मंडलायुक्त मंडी को पत्राचार किया गया है। मंडलायुक्त की ओर से यह मसला अब कानून विभाग के पास पहुंचा है। ब्यास प्रबंधन ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री सुक्खू के समक्ष इस विषय को रखा है। पहले आठ नवंबर तक ब्यास प्रबंधन की मांग पर फैसला लिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन कानूनी पेच के चलते मामला उलझ गया है। कानूनी पेच को सुलझाने के लिए प्रदेश सरकार और प्रबंधन में तीस नवंबर की तक सहमति बनी है।

चर्चा यह भी है कि यदि जमीन के हस्तातंरण की बात 30 नवंबर तक सिरे नहीं चढ़ती है तो ब्यास प्रबंधन इस अस्पताल के स्टाफ और संपत्तियों को डेराब्यास अस्पताल में शिफ्ट करने की योजना पर विचार कर रहा है। बड़सर, भोरंज, हमीरपुर और नादौन, सरकाघाट, घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की इन पंचायतों के लोगों को निशुल्क उपचार और सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध होती हैं। जबकि इंडोर में दाखिल होने वाले मरीजों के उपचार से लेकर खाने-पीने का खर्च भी ब्यास प्रबंधन उठाता है।

चैरिटेबल अस्पताल में लगभग हर रोग का विशेषज्ञ मौजूद है। पथरियों, हर्नियां के ऑपरेशन के लिए हर तीन माह बाद डेराब्यास अस्पताल से टीम आती है। अस्पताल में 200 कर्मचारियों का स्टाफ है। यह अस्पताल साल 1999 से यहां पर संचालित किया जा रहा है। ब्यास प्रबंधन की ओर से देश में महज तीन अस्पताल चलाए जा रहे हैं। चैरिटेबल अस्पताल सिंकदरपुर, डेराब्यास और भोटा में संचालित किया जा रहा है। अस्पताल का संचालन महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी कर रही है। करोड़ों रुपये का खर्च कर इन अस्पतालों को ब्यास प्रबंधन संचालित कर रहा है।

अब इस अस्पताल का 30 नवंबर के बाद संचालन बंद होने के करार पर है तो इलाके के जानकीर लोग इस बात को जनसंदेश के रुप से आगे से आगे फैलाकर सरकार से इस अस्पताल की जमीन ट्रांसफर को लेकर सहयोग करने की मांग रोजाना हिमाचल ई-समाचार के माध्यम कर रही है। अगर सरकार सहयोग नही करती है तो लाखो लोग सड़क पर धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होगी जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी। 

रोजाना हिमाचल ई-समाचार से बातचीत में इलाके के लोगो जगदीश चंद, निरंजन धीमान, अजय कुमार, प्रेमलाल, राजेंद्र कुमार, रत्न लाल, गंगा राम, सोनु वर्धन, कर्म चंद, अमर सिंह, शशिकांत आदि ने बताया की सरकार को चैरिटेबल राधास्वामी अस्पताल की जमीन ट्रांसफर करने के लिए सहयोग करना पडेगा अगर नही करती है लोग सडको पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होगे। इस अस्पताल के संचालन के बंद होने से न केवल लोगो को ही परेशानी नही होगी परंतु सरकार को भी परेशानियो का सामना करना पड़ेगा।

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