बंद पड़े विद्यालयों को आंगनबाड़ी या सामाजिक केन्द्रों में किया जाए परिवर्तित।
हिमाचल में विद्यालयों के बंद होने से भवन जर्जर हो रहे हैं, ग्रामवासी इनका सदुपयोग चाहते हैं।
रूहानी नरयाल। नादौन
तरकेड़ी में बन्द पड़े प्राथमिक विद्यालय के कमरों के दरवाजे टूटे, ग्रामवासियों ने नशेड़ियों पर जताई आशंका।
शिक्षा समाज का बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है और शिक्षा ही समाज को सही दिशा में घुमाता और प्रगति की और ले जाता है। शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हिमाचल सरकार द्वारा प्रत्येक गांव में विद्यालयों की स्थापना की गई है, ताकि हिमाचल प्रदेश का प्रत्येक छात्र सुशिक्षित होकर एक चरित्रवान समाज का निर्माण करे, परंतु पिछले कुछ समय से लगातार सरकारी विद्यालय में बच्चों की संख्या काम हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार द्वारा विद्यालयों को बंद किया जा रहा है। बता दें कि हिमाचल सरकार द्वारा बच्चों को शिक्षित करने हेतु बड़ी बड़ी इमारतों का निर्माण किया गया है, परंतु विद्यालयों के बंद होने के उपरांत उन सभी भवनों का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है, जिससे इमारतें जर्जर अवस्था को प्राप्त हो रही हैं। इसी क्रम में तरकेड़ी गांव का प्राथमिक विद्यालय भी विगत दो वर्षों से बंद पड़ा है, जिससे यह भवन लगातार जर्जर अवस्था को प्राप्त हो रहा है और सुरक्षा कर्मियों का न होने से नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है। राजकीय प्राथमिक पाठशाला तरकेड़ी के सभी चार कमरों के दरवाजे टूट चुके हैं। मालूम रहे कि हर वर्ष जून मास में गांव के लोग सामूहिक भंडारे का आयोजन करते हैं, जो कि विद्यालय के साथ लगते सार्वजनिक भवन में किया जाता है। इस दौरान जब ग्रामवासी स्कूल भवन के आसपास भी साफ सफाई करने लगे तो उन्होंने पाया कि शातिरों ने ताले तोड़कर दरवाजे ही तोड़ दिए हैं। यह प्राथमिक विद्यालय प्राथमिक विद्यालय बटराण के अंतर्गत आता है। इससे पूर्व भी विद्यालय में नशा करने वालों की आवाजाही रहती थी, परंतु ग्रामवासियों के सामूहिक बहिष्कार से वह कार्य विगत 1 वर्ष से बंद हो गया था। ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग से भी अपील की है कि वे इस विद्यालय भवन को आंगनवाड़ी, महिला मंडल, युवक मंडल अथवा ग्राम सुधार सभा को समर्पित कर दिया जाए, ताकि इस भव्य भवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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