पनसाई के डॉक्टर दंपति ने एक साथ पाई एमडी की डिग्री, गांव में खुशी का माहौल
नादौन उपमंडल के पनसाई गांव निवासी डाक्टर दंपती ने एक साथ एमडी करके उपलब्धि हासिल की है। चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ में दोनों ने डिग्री हासिल की। उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण पवार ने सम्मानित किया। डा. सचिन शर्मा व डा. अंकुर शर्मा की उपलब्धि पर गांव में खुशी का माहौल है। वर्तमान में दोनों नेरचौक स्थित मेडिकल कालेज में सेवाएं दे रहे हैं।

रूहानी नरयाल। नादौन
नादौन उपमंडल के पनसाई गांव निवासी डाक्टर दंपती ने एक साथ एमडी करके उपलब्धि हासिल की है। चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ में दोनों ने डिग्री हासिल की। उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण पवार ने सम्मानित किया। डा. सचिन शर्मा व डा. अंकुर शर्मा की उपलब्धि पर गांव में खुशी का माहौल है। वर्तमान में दोनों नेरचौक स्थित मेडिकल कालेज में सेवाएं दे रहे हैं।
डा. सचिन ने वर्ष 2008 में टांडा मेडिकल कालेज से एसबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं देने के साथ-साथ एमडी की परीक्षा के लिए तैयारी की। 2017 में डा. सचिन का पीजीआइ चंडीगढ़ में पैथोलाजी में एमडी के लिए चयन हो गया। बिलासपुर जिला अस्पताल में सेवाएं देने के बाद उनका तबादला मंडी जिले के नेरचौक मेडिकल कालेज के लिए हो गया। इसी बीच डा. सचिन की पत्नी डा. अंकुर शर्मा ने त्वचाविज्ञान (डर्मेटोलाजी) में एमडी के लिए आवेदन किया और 2020 में यह डिग्री भी हासिल कर ली। डाक्टर दंपती ने चंडीगढ़ से एक साथ एमडी की पढ़ाई पूरी की। नादौन उपमंडल के सुकराला निवासी डा. अंकुर शर्मा ने शिमला स्थित आइजीएमसी से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। वह 2014 से विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं दे रही हैं। डा. सचिन के पिता मास्टर अनंत राम शर्मा बेटे व बहू की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहते हैं कि छोटी बच्ची के साथ दोनों ने पढ़ाई जारी रखी। यह दोनों की लगन और मेहनत का परिणाम है।
सचिन के बड़े भाई संदीप शर्मा मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) करने के बाद अमेरिका में परिवार समेत रहते हैं। करीब दो साल पहले डाक्टर सचिन की माता विद्या शर्मा का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया था। मरीजों की सेवा के लिए दिन रात जुटे रहने वाले डा. सचिन कहते हैं कि जब भी किसी मरीज को देखता हूं तो मां की सीख जेहन में आ जाती है। मां ने कहा था कि इस पेशे में जाने से पहले एक बात ध्यान रखना कि यह पीडि़तों की सेवा का जरिया है। इसमें किसी प्रकार की कोताही न बरतना। इसी बात को सामने रखकर डा. सचिन व डा. अंकुर दो साल की बेटी के साथ लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं।
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