गूगल के एकाधिकार मुकदमे पर रिपोर्ट पेश
सर्च इंजन गूगल के एकाधिकार बढ़ाने के मामले में अमेरिका में दायर प्रतिस्पर्धा-रोधी केस के तहत, देश के न्याय विभाग और कई राज्यों के वकीलों ने एक सजीव मामले की तरह उनके खिलाफ कदम उठाया है।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
सर्च इंजन गूगल के एकाधिकार बढ़ाने के मामले में अमेरिका में दायर प्रतिस्पर्धा-रोधी केस के तहत, देश के न्याय विभाग और कई राज्यों के वकीलों ने एक सजीव मामले की तरह उनके खिलाफ कदम उठाया है। इस मुकदमे में 30 से अधिक गवाह पेश हुए हैं। यह मुकदमा गूगल सहित पूरी दुनिया के टेक उद्योग की शक्ति और काम करने के तरीकों पर असर डाल सकता है।
न्याय विभाग ने यह दावा किया कि गूगल ने एपल व अन्य कंपनियों को सालाना 1,000 करोड़ डॉलर महज प्रतिस्पर्धा कुचलने के लिए दिए। इसकी एवज में उसने आईफोन व अन्य उपकरण बनाने वाली एपल व अन्य कंपनियों के फोन में अपने गूगल सर्च इंजन को पहले से इंस्टॉल करवाए। गवाह के रूप में पेश हुए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के सीईओ सत्या नडेला ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट का सर्च इंजन बिंग भी एपल में प्री-इंस्टॉल करवाने के कई साल तक प्रयास किए, एपल नहीं मानी।
सत्या नडेला ने इंटरनेट को 'गूगल वेब' करार दिया और कहा-उनकी कंपनी भी शक्तिशाली है, लेकिन एकाधिकार की वजह से गूगल का मुकाबला नहीं कर सकती। गूगल के एक पूर्व अधिकारी श्रीधर रामास्वामी ने जज अमित पी मेहता को बताया कि गूगल एपल व अन्य कंपनियों को पैसा चुकाता है, इसलिए कंपनियां उसका एकाधिकार तोड़ रहे बदलाव आने नहीं देतीं।
विभाग के मुताबिक, सर्च इंजन में एकाधिकार के कारण गूगल ने अक्सर घटिया उत्पाद ही उपभोक्ताओं को दिए। अगर उसकी दूसरे सर्च इंजनों से प्रतियोगिता होती, तो बेहतर उत्पाद देना मजबूरी बन जाता। डकडकगो के सीईओ गेब्रियल ने गवाही में बताया कि उनका सर्च इंजन कहीं कम जानकारियां संग्रह करता है, फिर भी फोन में डकडकगो के बजाय गूगल ही डिफॉल्ट सर्च इंजन होता है।
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