कांगड़ा में संघ के पदाधिकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से एसडीएम को भेजा ज्ञापन

संयुक्त पटवार एवं कानूनगो महासंघ की कांगड़ा इकाई ने प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर सोमवार को तहसीलदार मोहित रत्तन के माध्यम से एसडीएम (ना०) कांगड़ा इंशात जसवाल को ज्ञापन भेजा।

Jul 15, 2024 - 17:03
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कांगड़ा में संघ के पदाधिकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से एसडीएम को भेजा ज्ञापन

सुमन महाशा। कांगड़ा 

संयुक्त पटवार एवं कानूनगो महासंघ की कांगड़ा इकाई ने प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर सोमवार को तहसीलदार मोहित रत्तन के माध्यम से एसडीएम (ना०) कांगड़ा इंशात जसवाल को ज्ञापन भेजा। महासंघ के तहसील इकाई अध्यक्ष निशांत कोटी ने समस्त कार्यकारिणी के साथ सरकार के उस निर्णय का विरोध जताया है जिसमें पटवारी एवं कानूनगो वर्ग को स्टेट कैडर में शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कार्यकारिणी के निर्देशानुसार पटवारी एवं कानूनगो अपने मोबाइल से आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यों को छोड़कर जनता का आनलाइन कोई भी कार्य नहीं करेंगे।

सरकार के स्टेट कैडर के इस निर्णय से किसी भी वर्ग को कोई लाभ नहीं होगा, हालांकि जनता भी परेशान होगी। क्योंकि प्रदेश भर में राजस्व रिकार्ड में एकरूपता नहीं है तथा पैमाना प्रणाली भी अलग-अलग है व प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां भी अलग-अलग हैं। इससे काफी समय तो पटवारी एवं कानूनगो वर्ग को उस प्रक्रिया को समझने में लगेगा। प्रदेश में कुछ जिलों में बीघा-बिस्वांसी व कुछ जिलों में कनाल-मरले का प्रचलन है। हालांकि सरकार को सबसे पहले ऐसे निर्णय लेने से पहले धरातल पर कमियों को दूर करना चाहिए। पटवारी एवं कानूनगो वर्ग ने सरकारी कार्यों के लिए उपयोग में लाए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप भी निजी मोबाइल फोन से छोड़ दिये हैं। 

उक्त वर्ग पहले ही काम के अतिरिक्त बोझ का प्रैशर झेल रहा है। काफी हद तक पटवार एवं कानूनगो भवन खस्ताहाल हो चुके हैं, रिकार्ड रखने को अलमारियां तक नहीं है। हिमाचल प्रदेश राजस्व विभाग में पहली जुलाई से लागू किए गए ऑनलाइन फीस मॉडयूल ने भी पटवारी व कानूनगो को परेशानी में डाल दिया है। राजस्व कार्य ऑनलाइन होने के साथ अब फीस मॉडयूल भी ऑनलाइन कर दिया गया है लेकिन किसी भी पटवारघर और कानूनगो दफ्तर में अभी तक इंटरनेट की सुविधा नहीं है। संयुक्त पटवार एवं कानूनगो महासंघ ने सरकार से आग्रह किया था कि जब तक पटवार घरों और कानूनगो दफ्तर में ब्राडबैंड के साथ प्रिंटर सुविधा नहीं दी गई, तब तक कैसे ऑनलाइन काम होंगे।

महासंघ इस विषय पर गंभीर है और इसके चलते प्रदेशाध्यक्ष ने 17 जुलाई 2024 को इस विषय व अन्य मांगों को लेकर राज्य स्तरीय बैठक कुल्लू में बुलाई है। इस अवसर पर सोमवार को ज्ञापन देते समय पटवारी एवं कानूनगो कार्यकारिणी के पदाधिकारियों में मनोज पठानिया, राजकुमार, रंजय, मनोज, नरेश, अरिषेक, लक्की, हेमराज, अश्विनी, अनुराधा, अलका, आरती, सीमा, मनीषा आदि मौजूद रहे।

हिमाचली बोनाफाइड से लेकर अन्य प्रमाणपत्र आनलाइन ना बन पाने से लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। 

हर रोज विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट तैयार करने में आधा दिन बीत जाता है, जो किसी अधिकारी की गिनती में नहीं आता। एक दिन में 50 से लेकर 100 तक प्रमाण पत्र एक पटवारी के पास बनते हैं। साथ ही फ़ोन द्वारा विभिन्न -2 सूचनाओं को तैयार करके भेजना, पीएम किसान सम्मान से जुड़े काम, स्वामित्व योजना, 1100 सीएम सकंल्प शिकायत विवरणी के निपटारे , राहत कार्य , फसल गिरदावरी, निर्वाचन कार्य के अलावा बीएलओ व सुपरवाइजर के काम, लोक निर्माण, वन, खनन, उद्योग आदि अनेकों परियोजनाओं के मौका कार्य एवं संयुक्त निरीक्षण शामिल है। 

साथ ही इंतकाल दर्ज करना, उच्च अधिकारियों तथा माननीयों के भ्रमण में हाजिर होना, विभिन्न न्यायालयों में पेशियों व रिकॉर्ड पेश करने बारे हाजिर होना, राजस्व अभिलेख को अपडेट करना, कार्य कृषि गणना, लघु सिंचाई गणना, धारा 163 के तहत मिसल कब्जा नाजायज तैयार करना, जमाबंदी की नकलें सत्यापित करना शामिल है। 

साथ ही जो रिकॉर्ड वर्ष 2000 से पहले का कम्प्यूट्रीकृत नहीं हुआ है, उसकी लिखित रूप में नकलें तैयार करना, मौक़ा पर ततीमा तैयार करना, टीआरएस गिरदावरी करना , आरएमएस पोर्टल अपडेट करना, भूमि विक्रय हेतु दूरी प्रमाण पत्र, बीपीएल सर्वेक्षण कार्य, कार्य फोरलेन, एयरपोर्ट काम, आरटीआई से संबंधित सूचना तैयार करना, 2/3 बिस्वा अलॉटमेंट, धारा 118 की रिपोर्ट तैयार करना शामिल है। इसके अतिरिक्त बैंकों के लोन संबंधित रपटें दर्ज करना, भूमि की कुर्की संबंधित रपटें दर्ज करना, प्रतिदिन एनजीडीआरएस, मेघ , मेघ चार्ज क्रिएशन, मन्दिर व मेला ड्यूटी , क्राप कटिंग एक्सपेरिमेंट, लैंड एक्युजेशन वर्क, पेंशन फार्म, मंदिर में चढ़ावा गणना, जनगणना कार्य, जल निकाय गणना, भू-हस्तांतरण संबंधित कार्य, वांरट वेदखली, रिकवरी, अटैकमैंट, व प्रतिदिन व्हाट्सप्प के माध्यम से मांगी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को तैयार करने में ही समय व्यतीत हो जाता है और माह के अंत में प्रोग्रेस निशानदेही व तकसीम की मांगी जाती है ।

कांगड़ा में बंदोबस्त की जरूरी

जिला कांगड़ा में बंदोबस्त हुए 50 साल से लंबा अरसा बीत चुका है और बंदोबस्त न होने के चलते भी जमीनी विवाद बढ़ते चले जा रहे हैं। और तो और कई जगह तो लट्ठे खस्ताहाल हो चुके हैं। हालांकि नियमों के मुताबिक बंदोबस्त 40 साल के बाद होना जरूरी है।

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