कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का एरियर देना हो गया मुश्किल
वेतन और पेंशन का बढ़ता खर्च हिमाचल की कांग्रेस सरकार के लिए संकट। एरियर का 9000 करोड़ बकाया और रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट घट रही है।
ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
एरियर की जिम्मेदारी और वेतन-पेंशन का बढ़ता खर्च सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार को चैन की नींद नहीं लेने देगा। किसी न किसी तरह सरकार इस साल वेतन व पेंशन का खर्च निकाल देगी, लेकिन अगले साल से मामला और भी गंभीर हो जाएगा। हिमाचल में ओपीएस को लागू करने के बाद सरकारी कर्मियों के वेतन-पेंशन का खर्च बढ़ गया है। पिछले पे कमीशन के एरियर का 9000 करोड़ अभी तक नहीं दिया है। यानी कर्मचारियों की 9000 करोड़ रुपए की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर है। 2026 में नए यानी सातवें पे कमीशन का समय आ जाएगा। बात ये है कि हिमाचल की रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट लगातार घट रही है.
पूर्व भाजपा सरकार के समय राज्य में कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था। जिसमे जयराम सरकार ने एरियर की एक किस्त में पचास हजार रुपए जारी किए थे। उसके बाद से एरियर का एक पैसा नहीं दिया गया है। इस समय कर्मचारियों के एरियर की 9000 करोड़ का भुगतान बाकी है।इस बार वित्तायोग ने यदि हिमाचल पर मेहरबानी नहीं की तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार गंभीर संकट में फंस जाएगी।
वेतन पर 25 फीसदी व पेंशन पर 17 फीसदी खर्च
हिमाचल के इस साल के बजट पर 25 फीसदी व पेंशन पर 17 फीसदी खर्च होता है। फिर लिए गए कर्ज के ब्याज भुगतान पर भी अच्छी-खासी धनराशि खर्च होती है। ऐसे में इन पैसों से विकास ना के बराबर होता है। नए वेतन आयोग के सरकार द्वारा लागू होने के बाद संशोधित वेतनमान के एरियर का बकाया तो एक तरफ रहा, सरकार को हर महीने वेतन व पेंशन का खर्च पूरा करना भी मुश्किल हो रहा है। अगले वित्त वर्ष यानी 2025-2026 की बात करें तो साल भर में वेतन के लिए 15,862 करोड़ और पेंशन के लिए 10,800 करोड़ रुपए की रकम चाहिए। दोनों को मिला दें तो ये खर्च 26,722 करोड़ रुपए साल का होगा. वहीं, कमाई की बात करें तो राज्य सरकार को 2025-26 में सारे संसाधनों से 17,044 करोड़ रुपए ही मिलेंगे.
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