बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस राेग से करें बचाव: SMO डॉ. अल्पना
बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस के मरीजों की गिनती में अचानक वृद्धि हो जाती है और घास काटने से इस बीमारी से संक्रमित होने की संभावना और बढ़ जाती है।

सुमन महाशा। कांगड़ा
बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस के मरीजों की गिनती में अचानक वृद्धि हो जाती है और घास काटने से इस बीमारी से संक्रमित होने की संभावना और बढ़ जाती है। यह जानकारी आज कांगड़ा में पत्रकारों से रू-ब-रू होते हुए एसएमओ कांगड़ा डॉ. अल्पना ने दी। उन्हाेंने बताया कि स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है और ये पिसुओं में पाया जाता है। संक्रमित पिस्सू, जंगली चूहों में पाए जाते हैं और घास तथा खेतों में से आकर घरों में आ जाते हैं। संक्रमित पिस्सू स्वस्थ आदमी को काटता है और स्क्रब टाइफस फैलाता है। डा. अल्पना का कहना है कि लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है। इसके लक्षण जैसे बुखार आना, कंपन होना, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द होना और कभी-कभी मरीज को चमड़ी पर खून के धब्बे जैसे हो सकते हैं। इसमें एक एशर बनता है इसकी रोकथाम के लिए इन बाताें का ध्यान रखें।
यह सावधानी बरतें
घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें। शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें। घर के अंदर और आसपास कीटनाशकों का छिड़काव अवश्य करें। खेतों में काम करते समय हाथ व पैरों को अच्छे से ढककर रखें। बरसात के मौसम में इस बीमारी के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। समय पर डाक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है। यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है। स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों और घासनियों में घास काटते हैं। इस वार्ता में उनके साथ मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ, माेनिका राज भी माैजूद रहीं।
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