शरण कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वूमेन कांगड़ा में एनआईएलएम यूनिवर्सिटी कैथल (हरियाणा) के सहयोग से संगोष्ठी का आयोजन
शरण कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वूमेन कांगड़ा में ‘‘भारत में शैक्षणिक परिदृष्य: वैष्वीकरण के युग में चुनौतियां और संभावनाएं" विषय पर एनआईएलएम यूनिवर्सिटी कैथल (हरियाणा) के सहयोग से चेयरमैन अंषुल सैनी तथा डॉयरैक्टर शालिनी सैनी के नेतृत्व में नेशनल सेमीनार का आयोजन किया गया।
सुमन महाशा कांगड़ा
शरण कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वूमेन कांगड़ा में ‘‘भारत में शैक्षणिक परिदृष्य: वैष्वीकरण के युग में चुनौतियां और संभावनाएं" विषय पर एनआईएलएम यूनिवर्सिटी कैथल (हरियाणा) के सहयोग से चेयरमैन अंषुल सैनी तथा डॉयरैक्टर शालिनी सैनी के नेतृत्व में नेशनल सेमीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रजलन के साथ हुआ। सेमीनार की कन्वीनियर एवं प्रिसींपल डॉ सुमन शर्मा ने कॉलेज में उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षाविदो, अनुसंधानकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए सामूहिक मंच प्रदान करना है ताकि वे एक दूसरे के साथ अपने विचारों तथा ज्ञान का आदान प्रदान कर सकें। इस मौके पर सोवनियर के उद्घाटन के उपरांत एनआईएलएम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रो डॉ शमीम अहमद ने अपने वकतव्य में कहा कि इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य सभी को किताबी ज्ञान के स्थान पर मानवीय मूल्यों से अवगत करवाना है। डॉयरैक्टर एवं डीन रिसर्च डॉ संदीप कुमार ने शिक्षा में अनुसंधान एवं विकास के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। कोऑडीनेटर डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही मानवीय विकास के द्वारा विकसित भारत के लक्ष्य को 2047 तक प्राप्त किया जा सकता है। सैंट्रल यूनिवर्सिटी धर्मशाला के एसोसिएट प्रोफेसर रिसोर्स पर्सन डॉ राजेन्द्र सिंह ने शिक्षा के माध्यम से सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के डीन, प्रोफेसर एवं हैड डॉ चमन लाल ने आज के आधुनिक युग में शिक्षा की गुणवता, स्किल आधारित शिक्षा तथा नई तकनीक पर अपने विचार प्रकट किए। वैलीडिकटरी कार्यक्रम में सैंट्रल यूनिवर्सिटी जम्मू की डीन एवं प्रोफेसर ऋतु बख्शी ने अपने विचारों में भारत के विश्व गुरू बनने के संदर्भ में विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
एनआईएलएम विश्वविद्यालय के डीन एवं प्रोफेसर डॉ आर के गुप्ता ने आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस स्किल डेवलेपमेंट, तकनीकी सहयोग एवं कौशल निर्माण पर बल दिया। चौधरी चरन सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के प्रो डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि प्रमुख चुनौती भारतीय ज्ञान प्रणाली के साथ कृत्रिम बुद्धिमता, हाईपर ऑटेमेषन और क्वांटम कम्प्यूटिंग का सामना करना है। इस संगोष्ठी में ऑनलाईन तथा ऑॅफलाईन कुल 85 शोद्यपत्र प्रस्तुत किए गए। प्रथम टेक्नीकल सैशन के चेयरपर्सन डॉ राजेन्द्र्र सिंह तथा दूसरे टैक्नीकल सैशन की चेयरपर्सन डॉ ऋतु बख्शी रही। ऑनलाईन प्रस्तुति में आरकेएसडी कॉलेज कैथल के अर्थषास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ सूरज वालिया चेयरपर्सन तथा डॉ रितु वालिया को-चेयरपर्सन एवं गीता रत्न इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल नई दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पूनम ने अनुसंधान पत्रों की प्रस्तुति करवाने में विशेष भूमिका निभाई। अंत में एपी इषविंदर सिंह ने संगोष्ठी की पूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की। तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। छात्राओं ने पहाड़ी नाटी द्वारा हिमाचली संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। मंच संचालन एपी नितिज और इषविंदर द्वारा व्यवस्थित ढंग से किया गया।
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