तकीपुर कॉलेज में एक दिवसीय कार्यशाला का किया आयोजन
अटल बिहारी वाजपेयी राजकीय महाविद्यालय तकीपुर में जिला कांगड़ा के स्थानीय मुद्दे और प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

सुमन महाशा। कांगड़ा
अटल बिहारी वाजपेयी राजकीय महाविद्यालय तकीपुर में जिला कांगड़ा के स्थानीय मुद्दे और प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन जलशक्ति मंत्रालय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तरी हिमालय क्षेत्र धर्मशाला तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान रायपुर के संयुक्त तत्वाधान से किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ. के. एस. अत्री ने दीप प्रज्वलित करके किया। मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य विद्वानों के स्वागत भाषण में प्राचार्य डॉ. आर. एस. गिल ने कहा कि जल केवल मानव जाति के लिए ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं और पेड़ पौधों के लिए भी आवश्यक है और पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना नहीं की जा सकती है , समस्त जीव जगत का आधार ही जल है I डॉ. आर. एस. गिल ने कहा कि भूजल मानव जाति के लिए पानी का सबसे बड़ा स्रोत है और दुनिया के उपलब्ध पानी का 30% है I डॉ. गिल ने कहा कि बढती वैश्विक आबादी अधिक गहन कृषि और बढ़ते औद्योगिक उपयोग के साथ मिलकर भूजल की मांग में लगातार वृद्धि हुई है उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन संस्थान राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का काम ही नहीं है इसमें हम सभी को अपनी अपनी सहभागिता भी सुनिश्चित करनी है इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. के एस अत्री ने कहा अपने संबोधन ने कहा कि भूजल एक अति महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यह प्रकृति का हमारे लिए निशुल्क उपहार है I आज भारत सहित विश्व के अनेक देश जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं I उन्होंने कहा कि जल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूनो वर्ष 2023 को विश्व जल वर्ष के रूप में मान चुका है I उन्होंने कहा भविष्य में जल की कमी एक बड़ी समस्या होगी किसी भी देश राज्य और क्षेत्र की संपन्नता और सभ्यता के विकास में जल का योगदान महत्वपूर्ण रहा है I उन्होंने कहा कि आज पूरा मानव समाज भूजल के गिरते स्तर की वजह से गंभीरतम संकट की चपेट में है I पीने के पानी की कमी वह बढ़ती प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी घातक बीमारियां और जल संकट जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं I मुख्य अतिथि ने कहा कि भूजल की कमी के कारण मानव का विकास और वृद्धि प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है, आज हम अपने भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति के लिए न केवल भूजल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं बल्कि भूजल प्रदूषण को बढ़ावा भी दे रहे हैं I डॉ. के. एस. अत्री ने कहा कि भूजल अक्सर जल पारगम्य चट्टानों और तलछरों में गहराई में छिपा होता है I और इसे पंपिंग खुओं का उपयोग करके निकाला जा सकता है I जल वृत्त नवीकरणीय जल संसाधन हो सकते हैं, जो सैकड़ो वर्षों से लेकर कई हजार वर्षों तक वर्षा के रिसाब से धीरे-धीरे भर जाते हैं I अंत में उन्होंने भूजल के प्रति सबको आज के युग में जागरूक करना अति आवश्यक समजा है I तथा इसके घटते स्तर के बारे में चिंतन करके इस समस्या से निजात दिलाना हम सब की जिम्मेदारी है I इस मौके पर डॉ. संजय पांडे वैज्ञानिक ने भूजल के घटते स्तर के कारणों को बताते हुए उनके निवारण के बारे में विस्तृत जानकारी दी I श्री मनोहर कुमार सहायक हाइड्रोलॉजिस्ट, श्री देवेंद्र कुमार सहायक हाइड्रोलॉजिस्ट, श्री प्रशांत कुमार सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट ने अपने वक्तव्य के माध्यम से भूजल से संबंधित समस्याओं और प्रबंधन के बारे में समस्त जनसमूह को विस्तृत जानकारी दी I इन वक्तव्यों से विद्यार्थी तथा समस्त जन समूह लाभान्वित हुआ I इस अवसर पर समस्त शिक्षक अभिभावक कार्यकारिणी के सदस्य, डॉ. दिनेश शर्मा हरिपुर कॉलेज डॉ. जितेंद्र डाडासिवा कॉलेज, डॉ. अनूप बी. एड. कॉलेज धर्मशाला, डॉ. मनीष डोगरा क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र धर्मशाला, डॉ. भगवान दास, प्रो. विजय, प्रो. सुरेश , डॉ. सुनील, प्रो. लेखराज , डॉ. अश्विनी शर्मा , प्रो. साहिल , प्रो. मेधा, श्री नवल किशोर, श्री कपिल समाजसेवी, श्री जनक राज ,श्री मुनीष कुमार , श्री ओंकार सिंह, श्री योगेश्वर , श्रीमती सविता देवी तथा महाविद्यालय के समस्त विद्यार्थी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे I
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