सिद्धि विनायक फाउंडेशन मुहल बेसहारा गौवंश का करेगी संरक्षण, लुथान गौशाला को लिया गोद
सिद्धि विनायक फाउंडेशन ने लुथान गौशाला को गोद लेकर वहां के बेसहारा गौवंश की देखभाल का जिम्मा उठाने का फैसला किया है।
प्रदीप शर्मा। ज्वालामुखी
सिद्धि विनायक फाउंडेशन ने लुथान गौशाला को गोद लेकर वहां के बेसहारा गौवंश की देखभाल का जिम्मा उठाने का फैसला किया है। इसके लिए जिला प्रशासन से एमओयू पूरा कर लिया गया है। यह संस्था पिछले 7 साल से मुहल गौशाला का संचालन कर रही है, जहां 190 गौवंश की देखभाल की जाती है। अब संस्था ने 428 कनाल भूमि पर बनी लुथान गौशाला की जिम्मेदारी ली है, जहां 500 से अधिक गौवंश को संरक्षण मिलेगा।
लुथान गौशाला पहले सरकारी नियंत्रण में थी, लेकिन कुप्रबंधन के कारण दो साल में 1200 से अधिक गायों की मौत हो गई थी, जिससे स्थानीय लोग परेशान थे। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में पहुंचा, और सरकार ने टेंडर निकाला, जिसमें सिद्धि विनायक गौशाला को प्रबंधन सौंपा गया।
गौशाला प्रबंधन और सरकारी मदद पर सवाल
सिद्धि विनायक गौशाला में 9 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं, और संस्था हर महीने 1.20 लाख रुपये वेतन देती है। सरकार ने शराब पर गौवंश के लिए 2.5 रुपये सैस लगाया था, लेकिन बजट में गौवंश संरक्षण के लिए कोई नई घोषणा नहीं की गई। सरकार प्रत्येक गौवंश पर 700 रुपये खर्च कर रही है, जबकि इसे 1200 रुपये होना चाहिए था।
गौशाला संचालक सुनील शर्मा का कहना है कि प्रत्येक गौवंश की देखभाल में 3,000 रुपये तक का खर्च आता है। सरकार को प्रति गौवंश कम से कम 1,500 रुपये देने चाहिए ताकि गौशाला का सही संचालन हो सके।
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