विश्व संस्कृत दिवस पर विशिष्ट व्याख्यान का किया आयोजन
विश्व संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य पर एमसीएम डीएवी महाविद्यालय कांगड़ा के संस्कृत विभाग के सौजन्य से एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया ।
सुमन महाशा। कांगड़ा
विश्व संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य पर एमसीएम डीएवी महाविद्यालय कांगड़ा के संस्कृत विभाग के सौजन्य से एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया । इसमें संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अरुणदीप शर्मा ने संस्कृत भाषा के महत्व के विषय में विद्यार्थियों को अवगत करवाया । इस विशेष अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बलजीत सिंह पटियाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । इस अवसर पर डॉ अरूणदीप शर्मा ने कहा कि भारत की आत्मा और ज्ञान विज्ञान की भाषा संस्कृत में भारत के वेद, उपनिषद, आरण्यक, पुराण, धर्मग्रंथ, रामायण, महाभारत, नाट्यशास्त्र, दर्शनशास्त्र, अष्टाध्यायी जैसे कई ग्रंथ लिखे गए हैं।
उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत से ज़्यादातर भाषाओं की शब्दावली या तो सीधे ली गई हैं अथवा उनसे प्रभावित हैं। राजनीतिशास्त्र, विज्ञान, धर्म, खेल, अध्यातम, समाजशास्त्र, भूगोल, वनस्पतिविज्ञान अथवा जितने भी संसार के विषय हैं उन सबका सार रूप हमें संस्कृत में मिलता है। संस्कृत के अध्ययन से भारतीय भाषाओं में एकरूपता आएगी और भारतीय एकता मज़बूत होगी।
इस दौरान विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डॉ बलजीत सिंह पटियाल ने कहा कि संस्कृत भारत को एकता के सूत्र में बाँधती है। संस्कृत का साहित्य अत्यन्त प्राचीन, विशाल और विविधतापूर्ण है। इसमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान और साहित्य का खजाना है। इसके अध्ययन से ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर अध्यापक वर्ग में प्रो मनोज, प्रो दिनेश शर्मा और प्रो राकेश भी उपस्थित रहे।
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