60 पंचायतों के लिए बना सिविल अस्पताल खुद बीमार
100 बिस्तरों के अस्पताल में महज 2 स्ट्रेचर और 3 व्हील चेयर, वे भी टूटी हुई सब कुछ जानते हुए भी आंखें बंद किए बैठा है अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर्स बीमार मशीन के चलते 4 से 5 जाने को मजबूर हो रही गर्भवती महिलाएं
प्रदीप शर्मा। ज्वालामुखी
बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए लम्बे-लम्बे वादे करने वाली सरकारें किस तरह से आमजनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं। जिस अस्पताल में मरीज अपना स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आते हैं अगर वही अस्पताल खुद बीमार हो तो सरकार की कार्यप्रणाली पर सोचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसका एक ताजा मामला कांगड़ा जिला अंतर्गत ज्वालामुखी में देखने को मिला है। 60 पंचायतों के स्वास्थ्य जिम्मा उठाने वाले ज्वालामुखी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखने से पहले ही आपको टूटी व्हील चेयर और स्ट्रेचर नजर आती है। इस अस्पताल की हालात यह है कि 100 बिस्तरों की सुविधा देने वाले इस अस्पताल में महज 2 स्ट्रेचर और 3 व्हील चेयर हैं और वे भी बीमार।
जानकारी के अनुसार सिविल अस्पताल ज्वालामुखी में रोज करीब सैंकड़ो मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से कई मरीजों को ओपीडी तक पहुंचने के लिए व्हील चेयर या स्ट्रेचर की जरूरत भी पड़ती होगी, लेकिन जब सिविल अस्पताल ज्वालामुखी के गेट पर जो व्हील चेयर या स्ट्रेचर दिखाई देते हैं तो वे दयनीय हालात में होते हैं। ऐसे में मरीज के साथ आने वाले परिवार के सदस्यों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। इन स्ट्रेचर और व्हील चेयर की हालत यह है कि इनके पहिए टूटे हुए हैं तो कइयों के टायर ही गायब। इतना ही नहीं, यहां पर अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि मरीज को खुद ही खस्ताहाल व्हील चेयर के पहिए को हाथ से घसीट कर चलाते हुए आम तौर पर देखा जा सकता है।
ज्वालामुखी अस्पताल में स्ट्रेचर ओर व्हील चेयरों की कमी मरीजों की परेशानियों को काम करने की बजाए बढ़ा ही रही हैं। जो स्ट्रेचर व व्हील चेयर मौजूद हैं वे टूटी होने से मरीजों का दर्द कम करने की बजाए बढ़ा रही हैं। स्ट्रेचर की हालत ऐसी है कि हमेशा मरीज के गिरने का खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि इन अव्यवस्थाओं से अस्पताल का स्टाफ या अधिकारी अनजान हैं, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी ये अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।
हवा में झूलते कैमरों से रखी जा रही नजर, अप्रिय घटना होने पर कौन होगा जिम्मेदार ?
ज्वालामुखी अस्पताल में प्रवेश करते ही आपको यहां पर लगा हुआ CCTV कैमरा तो दिखाई देगा, लेकिन यह हवा में लटका हुआ है। यहां पर सवाल यह उठता है कि यदि अस्पताल में कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा। यदि आप घटना से संबंधित CCTV फुटेज देखना चाहेंगे तो कैमरे खुद ही अपना दम तोड़ते हुए दिखाई देंगे।
1 साल से अल्ट्रासाउंड मशीन ख़राब, कमरे के बाहर लटका है ताला
मरीजों के स्वास्थ्य लाभ के लिए ज्वालामुखी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि यह मशीन एक साल से भी अधिक समय से खुद बीमार है। जिस कमरे में यह मशीन रखी हुई है उसके दरवाजे पर टाला लटका हुआ है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन इसके उपचार के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। इस दिशा में अस्पताल प्रबंधन की ओर से सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाने से लोगों में नाराजगी देखने को मिली।
हैरानी की बात है कि इस अस्पताल के डॉक्टर उपचार के लिए आने वाली गर्वभती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड तो लिख देते हैं, लेकिन ऐसी महिला मरीजों को 4 से 5 किलोमीटर या डेढ़ से 2 किलोमीटर का सफर तय कर निजी अस्पतालों में जाकर 700 रुपए खर्च कर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है। साथ ही आर्थिक मार अलग से। वहीं अस्पताल प्रशासन है कि अपनी आंखें बंद किए हुए बैठा है। गौरलतब है कि यहां पर ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। अल्ट्रासाउंड मशीन ठीक होने के बावजूद हर बार खराब हो जाती है। इस संबंध में आंकड़े आपको अस्पताल में रखे रजिस्टर में मिल जाएंगे।
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