कांगड़ा जिला के किसानों के लिए निवृत्ति द्वारा आयोजित 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' कार्यक्रम हुआ संपन्न
कांगड़ा जिला के किसानों के लिए निवृत्ति संस्था द्वारा ग्राम धनोटू में आयोजित दो दिवसीय 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' कार्यक्रम आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

सुमन महाशा। कांगड़ा
कांगड़ा जिला के किसानों के लिए निवृत्ति संस्था द्वारा ग्राम धनोटू में आयोजित दो दिवसीय 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' कार्यक्रम आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिले के विभिन्न कोनों से 32 से अधिक उत्साही प्रतिभागी इस अनूठी पहल में भाग लेने आए, जो राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB), आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। निवृत्ति एक गैर-लाभकारी संगठन है जो मृदा स्वास्थ्य, प्राकृतिक खेती और अच्छी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है।
इस कार्यक्रम के दौरान इन प्रशिक्षकों को औषधीय पौधों की सतत खेती, संरक्षण और विपणन को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त किया गया, जिससे वे NMPB के उद्देश्यों को कांगड़ा घाटी में प्रभावी रूप से आगे ले जा सकें। इस अवसर पर डॉ. अरुण चंदन (क्षेत्रीय निदेशक, RCFC NR1) और उनकी टीम, पद्मश्री नेकराम शर्मा (करसोग), राजेंद्र चौहान (सहारा NGO), डॉ. विपिन गुलेरिया (एसोसिएट डायरेक्टर, R&E, RHRS, जाच्छ), डॉ. संत प्रकाश (पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर), डॉ. ओ.पी. शर्मा (पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, राष्ट्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केंद्र, IARI, नई दिल्ली), डॉ. सुनील मजीन और डॉ. अनीश भाटिया (दोनों राज्य औषधीय पादप बोर्ड के नोडल अधिकारी और मिशन धन्वंतरी के समर्पित योद्धा) ने भाग लिया और औषधीय पौधों के पारिस्थितिकी तंत्र पर अपना बहुमूल्य अनुभव साझा किया।
निवृत्ति की प्रबंध निदेशक अनुराधा वशिष्ठ ने कहा, "प्रतिभागी इस कार्यक्रम से समृद्ध अनुभव लेकर लौटे हैं और अब वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस कार्य को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिभागियों में सीखने की जिज्ञासा, धैर्य और उत्साह देखने लायक था। अनुराधा ने कहा, "इतने अनुशासित प्रतिभागियों और किसान समुदाय के प्रतिनिधियों को पाकर खुशी हुई। मैं उनके समर्पण और संकल्प को सलाम करती हूँ, विशेष रूप से उन महिला किसानों को, जिन्होंने अपने परिवार और समुदाय के हित के लिए दो दिनों तक अपने घरों से दूर रहकर इस प्रशिक्षण में भाग लिया।"
प्रतिभागियों की फीडबैक के अनुसार यह प्रशिक्षण उनके लिए बहुत उपयोगी रहा। डॉ. सुनील शर्मा के शब्दों में: “प्रशिक्षण के प्रत्येक पहलू ,प्रतिभागियों के खाने ,पीने ,रहने इत्यादि का बहुत अच्छा प्रबंध किया गया था ,कॉन्टेंट डिलीवरी , रिसोर्स पर्सन्स ,फील्ड विजिट, ड्राइंग स्टोरेज , मूल्य संवर्धन आदि सभी पक्ष बहुत ही अनुशासित तरीके से प्रतिभागियों को प्राप्त करवाए गए ! प्रतिभागियों ने ऐसा महसूस किया कि इस स्थान में बहुत सकारात्मक ऊर्जा थी जिसके कारण वो पुनः पुनः यहां आना चाहेंगे !”
इस प्रशिक्षकों के कार्यक्रम के बाद, निवृत्ति मार्च और अप्रैल में किसानों के लिए ऐसे कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। अनुराधा वशिष्ठ ने विश्वास व्यक्त किया कि ये कार्यक्रम किसानों को औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण, कटाई और उत्तर-फसल प्रबंधन ही नहीं, बल्कि उनकी संपूर्ण कृषि संस्कृति के प्रति अधिक संवेदनशील बनाएंगे।
What's Your Reaction?






