सुक्खू के राज में सरकार को लग रही लाखों की चपत, जिंदगियों से हो रहा खिलवाड़
निजी बस संचालक सरेआम नियमों को ताक पर रखकर दौड़ा रहे वाहन विभागीय प्रणाली सवालों के घेरे में, मोबाइल एप्प से खुली पोल
ज्वालामुखी | प्रदीप शर्मा
बिना टैक्स और इंश्योरेंस के दौड़ रही निजी बसों से प्रदेश की सुक्खू सरकार को परिवहन विभाग की आंखों के सामने लाखों की चपत लगाई जा रही है। विभाग को इस बात की जानकारी विभाग के एप्प एम परिवहन से मिली। बताया जा रहा है कि इस मामले में एक ही फर्म की 2 निजी बसों में एक बस की इंश्योरेंस 1 नवम्बर 2021 और दूसरी बस की इंश्योरेंस 21 नवंबर 2023 को समाप्त हो चुकी है, लेकिन ये बसें ज्वालामुखी चिंतपूर्णी रोड पर धड़ल्ले से दौड़ रही है। इसके अलावा एक बस का एसआरटी और टोकन टैक्स 30 जून 2023 से और दूसरी बस का 31 मार्च 2024 से खत्म है। इस तरह के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ऐसे मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए जिससे अन्य बस संचालकों को सबक मिले।
हैरानी की बात है कि शहर में अवैध तरीके से चल रही इस तरह की निजी बसों पर नियत अवधि बीत जाने के बाद भी विभाग ने कार्रवाई क्यों नहीं की। यही कारण है कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद विभागीय प्रणाली सवालों के घेरे में आ जाती है। जहां एक ओर इस तरह की बसें बिना दस्तावेजों के सड़कों पर दौड़ रही हैं वहीं ये बसें लोगों की जिंदगियों से भी खिलवाड़ कर रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग को चाहिए कि अगर सड़कों पर इस तरह की बसों का संचालन हो रहा है तो विभाग इन पर शिकंजा कसने के लिए धरपकड़ अभियान ल्योन नहीं चलाता है। लोगों का कहना है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी चाहिए की जिले में जिन स्कूलों की निजी बस या टैक्सी संचालित हैं उनके दस्तावेजों को जांच की जानी चाहिए। कुछ लोगों ने नाम नहीं छपने की शर्त बताया कि अक्सर देखने में आता है कि जब विभाग या पुलिस प्रशासन द्वारा ऐसी बसों पर कार्रवाई करता है तो जांच में वाहन की फिटनेस, पासिंग, इंश्योरेंस सहित अन्य दस्तावेजों में कमी देखने को मिलती है। ऐसा भी नहीं है कि सभी निजी बसें टैक्स या इंश्योरेंस की चोरी करती हैं। सूत्रों का कहना है कि इस मामले को लेकर एक व्यक्ति ने जब सीएम हेल्पलाइन पर इस संबंध में शिकायत की थी तो जबाब मिला कि ये इनका मामला नहीं है, लेकिन वे केस देख लेंगे।
कोई घटना होती है तो कौन होगा जिम्मेदार?
सड़कों पर दौड़ रही यात्री बसों पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इसलिए यात्री बसें धड़ल्ले से बिना परमिट व फिटनेस के दौड़ रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि शहर में चलने वाली ये निजी बस किसी ना किसी तरह से राजस्व को घाटा ही दे रही हैं। ऐसे में अगर किसी कारणवश कोई घटना घटित हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है, लेकिन परिवहन विभाग और आरटीओ का इस ओर ध्यान ही नहीं है।
अफसरों की अनदेखी का खामियाजा आम जनता पर
निजी बसों के संचालन को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से कई नियम बनाए हुए हैं, लेकिन चंद निजी बस संचालक इन नियमों को ताक पर रखकर सरकार को चूना लगाने से बाज नहीं आते हैं। वहीं अफसरों की अनदेखी का खामियाजा भी यात्रियों को भुगतना पड़ता है। बसों में फर्स्ट ऐड बाक्स और आगजनी से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र होना भी अनिवार्य है, लेकिन ज्यादातर बसों में इनकी मौजूदगी नहीं होती है। बसों की परमिट, फिटनेस एवं बीमा की जांच के लिए परिवहन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। चेकिंग अभियान के नाम पर परिवहन और पुलिस महज बाइक और निजी वाहनों की चेकिंग कर कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।
What's Your Reaction?






