रोहड़ू में ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ: सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का महापर्व
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू के जलगांव में भुंडा महायज्ञ का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जा रहा है।

ओम प्रकाश शर्मा। शिमला
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू के जलगांव में भुंडा महायज्ञ का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जा रहा है। यह आयोजन क्षेत्रीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और सामाजिक एकता का प्रतीक है। महायज्ञ की शुरुआत देवता बकरालू जी के मंदिर में पूजा-अर्चना और शिखा पूजन से हुई। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए और परंपरागत रस्मों का हिस्सा बने।
बेड़ा रस्म: आस्था और साहस का अद्भुत प्रदर्शन
भुंडा महायज्ञ का सबसे बड़ा आकर्षण बेड़ा रस्म है, जिसे निभाने के लिए सूरत राम ने 100 मीटर लंबी घास की रस्सी के सहारे गहरी खाई को पार किया। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए आस्था और रोमांच का संगम था। इस रस्म को निभाना साहस, विश्वास और परंपरा का प्रतीक है।
2 जनवरी से भु़ंडा महायज्ञ की शुरुआत हो चुकी है। भुंडा यज्ञ से हिमाचल के हजारों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी है। यह यज्ञ हिमाचल की धार्मिक आस्था का प्रतिनिधित्व करता है। इस बार एप्पल वेली के नाम से मशहूर स्पेल वेली में देवता महाराज बकरालू के निवास स्थान दलगांव में यह भुंडा महायज्ञ हो रहा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और भुंडा पर शोध कर चुके डॉक्टर भवानी के अनुसार परशुराम ने शांद,भुडा बधपुर,भढोदी चार यज्ञ शुरू करवाए थे। भूडा भी इसी में से एक है। पिछले एक महीने से स्थानीय लोग अपने इष्ट मित्रौ, सगे संबंधियों को निमंत्रण देकर अपने घर बुला कर इन चार दिनों में उनका अतिथि सत्कार करने में अपनी शान समझते हैं। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है जो कि आपसी भाईचारे वह एकता का परिचायक भी है।
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