तानाशाह व असफल मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाएंगे सुक्खू 

कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इतिहास में एक तानाशाह व असफल मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाएगा। उनकी तानाशाही के चलते सरकार में विधायकों से लेकर मंत्री तक प्रताड़ित होते रहे। आज दिन तक सुक्खू इस बात को जनता के बीच में क्यों नहीं रख सके कि उन्हीं की सरकार में मंत्री ने अपने पद से क्यों  त्यागपत्र दिया था।

May 21, 2024 - 22:24
 0  306
तानाशाह व असफल मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाएंगे सुक्खू 
तानाशाह व असफल मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाएंगे सुक्खू 

अनिल कपलेश। बड़सर

विधायकों की सदस्यता रद्द कर जनता के मत का किया अपमान

कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इतिहास में एक तानाशाह व असफल मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाएगा। उनकी तानाशाही के चलते सरकार में विधायकों से लेकर मंत्री तक प्रताड़ित होते रहे। आज दिन तक सुक्खू इस बात को जनता के बीच में क्यों नहीं रख सके कि उन्हीं की सरकार में मंत्री ने अपने पद से क्यों  त्यागपत्र दिया था। बाद में ऐसी कौन सी डील हुई जिससे कि मंत्री ने त्यागपत्र वापस लिया। 
लोकतांत्रिक ढांचे में‌ इतिहास में पहली बार तानाशाही का ऐसा तांडव हुआ कि जनता द्वारा चुने गए विधायकों की उनका कोई पक्ष सुने बिना विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। अपनी ही पार्टी के चुने हुए विधायकों व मंत्रियों के बीच समन्वय न बिठा पाना उनकी सबसे बड़ी असफलता रही है। प्रदेश की जनता ने उन्हें पूरा जनमत दिया और हमीरपुर की जनता ने उन्हें चुनकर चार विधायक दिए थे। परंतु सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन चुने हुए विधायकों की  सदस्यता रद्द कर जनता के इस जनादेश का घोर अपमान किया । आज जो उपचुनाव जनता य प्रदेश पर थोपे गए हैं वह तानाशाही का ही परिणाम है।

जनता मांग रही है सुखविंदर सिंह सुक्खू से जवाब

सुखविंदर सिंह सुक्खू जनता को दें कि उन्होंने विधायकों के निष्कासन में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई?  
 विधायकों ने कोई भी ऐसा गैरकानूनी काम नहीं किया था जिसके चलते उनकी सदस्यता को ही रद्द कर दिया जाता है इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है कि विधायक सरकार के विरोध में भी खड़े हुए हैं। लेकिन हमने तो विरोध भी नहीं किया था। हमने तो केवल अपने मताधिकार का प्रयोग हिमाचल के हित में किया था। इंद्र दत्त लखन पाल ने कहा कि वास्तविकता यह रही कि मित्रों की सरकार चलाने के लिए वह हम विधायकों को अपने रास्ते का कांटा समझते थे और इस रास्ते के कांटे को हटाने के लिए उन्होंने हमारी सदस्यता रद्द की। प्रदेश की जनता आज  भी जानना चाहती है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कौन सी खुशी में इस्तीफा दिया था। और बाद में कौन सी एसिड डील हो गई जिसके चलते इस्तीफा वापस ले लिया।
स्थानीय मुद्दों सुखविंदर सिंह सुक्खू को घेरते उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस बात का जवाब दें कि आज हमारे विकासखंड कार्यालय में कर्मचारी व अधिकारी क्यों नहीं है? बिझड़ी में अस्पताल निर्माण का कार्य क्यों नहीं शुरू हो पाया? बड़सर में बस अड्डा निर्माण के लिए क्यों कदम नहीं उठाए गये। पंचायत प्रतिनिधियों के मांग पत्रों के जवाब क्यों नहीं उन्हें भेजे गए। पंचायत प्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों पर दर्ज मुकदमों को क्यों निरस्त नहीं किया गया। इसके संदर्भ में पंचायत प्रतिनिधि तथा स्थानीय लोग स्वयं मुख्यमंत्री से भी मिले थे। इन सब बातों से यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री बड़सर के विकास को लेकर कभी गंभीर नहीं हुए और मित्रों की सरकार चलाने के लिए विधायकों की सदस्यता रद्द कर आज अन्य मित्र को विधायक बनाने के लिए उपचुनाव थोप कर जनता के बीच  वोट मांग रहे हैं।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0