वित्तीय अनियमितताओं पर भड़के पेंशनर्स — बिजली बोर्ड प्रबंधन पर पक्षपात के आरोप
नादौन में विद्युत बोर्ड पेंशनर्स फोरम की बैठक में प्रबंधन की कार्यशैली पर कड़ा आक्रोश जताया गया। पेंशनर्स ने वित्तीय लाभों की अदायगी में भेदभाव का आरोप लगाया।
नादौन ब्यूरो रिपोर्ट
नादौन में विद्युत बोर्ड पेंशनर्स फोरम इकाई नादौन की बैठक अध्यक्ष राजकुमार चौधरी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगतराम, सचिव विधि चंद सनोरिया, कोषाध्यक्ष पृथ्वी चंद सहित कई पेंशनर्स मौजूद रहे।
बैठक में उपस्थित पेंशनर्स ने विद्युत बोर्ड लिमिटेड के प्रबंधन की कार्यशैली पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया, और वित्तीय लाभों की अदायगी में किए जा रहे भेदभावपूर्ण रवैये की तीखी आलोचना की।
“2016 के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब तक बकाया नहीं”
बैठक में विशेष रूप से उपस्थित प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष हमीरपुर कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि 1 जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त हुए कई पेंशनर्स को सरकार के 2022 के आदेशों के बावजूद बकाया राशि नहीं मिली है।
उन्होंने बताया —
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₹50,000 की पहली किस्त और संशोधित ग्रेच्यूटी का 20% हिस्सा अभी तक भुगतान नहीं हुआ।
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70 से 75 वर्ष की आयु वर्ग के पेंशनर्स को भी 30% बकाया नहीं मिला।
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मार्च 2024 के बाद की लीव-इन-केशमेंट और अप्रैल 2024 के बाद की ग्रेच्यूटी भुगतान लंबित है।
इस पर पेंशनर्स में गहरा आक्रोश और असंतोष देखा गया।
“वित्तीय अव्यवस्था की न्यायिक जांच कराई जाए”
खरवाड़ा ने आरोप लगाया कि विद्युत बोर्ड लिमिटेड में वित्तीय अव्यवस्था और अनियमितताएं बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा —
“अगर बोर्ड में हुए लेन-देन की न्यायिक जांच कराई जाए, तो वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश होना तय है।”
खरवाड़ा ने यह भी कहा कि बिजली टैरिफ में पेंशनर्स की अदायगी का प्रावधान शामिल है, फिर भी भुगतान न होना गंभीर मामला है।
“पेंशनर्स फोरम करेगा राज्य स्तरीय संघर्ष”
फोरम के नेताओं ने बताया कि वे कई बार बोर्ड प्रबंधन के समक्ष अपनी समस्याएं रख चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
उन्होंने अध्यक्ष प्रवोध सक्सेना और प्रबंध निदेशक आदित्य नेगी से तुरंत बैठक बुलाने की मांग की है ताकि पेंशनर्स की बात सीधे रखी जा सके।
“अगर बोर्ड प्रबंधन पेंशनर्स की अनदेखी जारी रखता है, तो फोरम जल्द ही राज्य स्तरीय बैठक बुलाकर संघर्ष की रणनीति तय करेगा।”
निष्कर्ष:
नादौन में हुई बैठक ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनका हक कब मिलेगा? पेंशनर्स का कहना है कि अगर वित्तीय असमानता और लापरवाही जारी रही, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
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